सीएम बोले, कर्मचारियों का 4430 करोड़, पेंशनरों का 5226 करोड़ एरियर बकाया
आवाज़ ए हिमाचल
शिमला। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने पीटरहॉफ में पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य सरकार ने ओपीएस लागू करने का यह निर्णय सभी एनपीएस कर्मचारीयों को सेवानिवृत्ति के उपरांत सम्मानजनक जीवन देने के लिए लिया है। उन्होंने कहा कि यह निर्णय हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस पार्टी द्वारा दी गई 10 गारंटियों में से एक है। सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि पूर्व भाजपा सरकार से वर्तमान सरकार को 75 हजार करोड़ का कर्ज विरासत में मिला है। वर्तमान राज्य सरकार को अपने कर्मचारियों को वेतन बकाया के रूप में 4430 करोड़ रुपए और पेंशनरों के पेंशन बकाया के रूप में 5226 करोड़ रुपए की देनदारी है।
इसके अलावा सरकार पर कर्मचारियों और पेंशनरों के महंगाई भत्ते के रूप में 1000 करोड़ रुपए की देनदारी पिछली राज्य सरकार द्वारा छोड़ी गई है। इस प्रकार पूर्व सरकार ने 11,000 करोड़ रुपए का वित्तीय बोझ वर्तमान सरकार पर डाला है। यह देनदारी भी जयराम ठाकुर हमारे ऊपर छोड़ गए हैं। सुक्खू ने कहा कि केंद्र सरकार के पास एनपीएस कर्मचारियों की 8000 करोड़ रुपए से अधिक धनराशि जमा है। उन्होंने कहा कि इन सभी बाधाओं के बावजूद, राज्य सरकार ने एनपीएस कर्मचारियों को उनके सेवानिवृत्त जीवन को सुरक्षित करने के लिए पुरानी पेंशन योजना बहाल करने का निर्णय लिया है। उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री, स्वास्थ्य मंत्री डा. कर्नल धनी राम शांडिल, उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान, राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी, शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर, सीपीएस संजय अवस्थी, नरेश चौहान, मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव भरत खेड़ा, वित्त सचिव डा. अक्षय सूद, निदेशक सूचना एवं जन संपर्क किरण भड़ाना भी इस अवसर पर उपस्थित थी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व भाजपा सरकार ने अपने कार्यकाल के अंत में विधानसभा चुनावों के दृष्टिगत राज्य में लगभग 900 संस्थानों को खोलने और स्तरोन्नत करने की घोषणा की थी। इन संस्थानों को बिना किसी बजट प्रावधान, तर्कहीन सोच एवं मतदाताओं को लुभाने के लिए खोला और स्तरोन्नत किया गया था। राज्य सरकार ने ऐसे सभी संस्थानों को बंद करने का निर्णय लिया है और इन सभी की समीक्षा के उपरांत आवश्यक पाए जाने पर उचित बजटीय प्रावधान करके खोला जाएगा।