आवाज़ ए हिमाचल
इस्लामाबाद। आर्थिक मंदहाली के चलते पाकिस्तान के हालत इतने बदतर हो गए हैं कि गरीबों को दो वक्त की रोटी भी ठीक से नसीब नहीं हो रही है। आटा इतना महंगा हो गया है कि गरीब आदमी खरीद तक नहीं पा रहा है। शहबाज शरीफ सरकार गरीबों को कोई मदद नहीं कर पा रही है। ऐसे में स्थिति तब और खराब हो गई जब भोजन की अत्यधिक कमी के कारण इस्लामाबाद सहित देश के कई हिस्सों में दंगे भड़क गए और खाने की लूट में भगदड़ से तीन लोगों की मौत हो गई। Nepal correspondence twitter की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान के विभिन्न नगरों में अनाज को लेकर हाथापाई शुरू हो गई है।
𝐁𝐈𝐆 𝐁𝐑𝐄𝐀𝐊𝐈𝐍𝐆
Riots in #Islamabad and several parts of #Pakistan due to extreme shortage of Food. Atleast three people reported dead due to stampede in a food loot.
While people are queueing for basic goods, a lavish lunch was hosted at the recent NSC meet on 02 Jan 23 pic.twitter.com/XLnvWUH2Ke— Nepal Correspondence (@NepCorres) January 7, 2023
अगस्त, साल 2022 में पाकिस्तान की खाद्य मुद्रास्फीति की दर 30 फीसदी को पार गई थी, जो दिसंबर आते-आते रिकॉर्ड 37.9 फीसदी पर थी. वहीं शहरी इलाकों की बात करें तो सितंबर 2022 पर 30 फीसदी थी जो अगले महीने अक्टूबर में रिकॉर्ड 34.7 फीसदी, नवंबर में गिरकर 29.7 फीसदी तो दिसंबर फिर बढ़कर 32.7 पर पहुंच गई। पाकिस्तान में खाद्य मुद्रास्फीति के बढ़ने की घरेलू खाद्य संकट समेत कई बड़ी वजह हैं। इनमें अंतराष्ट्रीय बाजार में खाद्य आइटमों के महंगे दाम, पाकिस्तानी रुपये का कमजोर होना, प्रतिबंधों की वजह से आयात में कमी, जैसे कारण शामिल हैं। मौजूदा समय में पाकिस्तान गेहूं संकट से जूझ रहा है।
आटे का दाम आसमान छू रहा । गरीब लोगों को रोटियां नसीब होना भी मुश्किल हो गया । हालांकि अधिकारियों का मानना है कि इस साल भी देश अपने 28.4 मिलियन टन गेहूं उत्पादन के टारगेट को पूरा कर लेगा लेकिन पाकिस्तान की किसान लॉबी का मानना है कि, इस साल देश शायद इतना उत्पादन ना कर पाए। पाकिस्तान के अंग्रेजी अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, रावलपिंडी के बाजार में आटे की कीमत 150 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गई है। आटे की 15 किलो की बोरी 2250 रुपये तक में बिक रही है। वहीं लाहौर में भी आटे का दाम 145 रुपये प्रति किलो पहुंच गया है। ऐसी ही मिलती-जुलती हालत अन्य शहरों में भी है। डॉन के अनुसार, जहां एक तरफ आटा लगातार महंगा होता जा रहा है तो चावल भी कम पीछे नहीं है।
पिछले कुछ महीनों में चावल के दाम में लगातार बढ़तरी देखने को मिली। इसी वजह से वित्तीय वर्ष 2022-23 में चावल का निर्यात की वर्ष 2021-22 से कम रहने की उम्मीद है। साल 2022 में बाढ़ की वजह से काफी संख्या में धान की फसल बर्बाद हुई, जिस वजह से बहुत आशावादी होकर भी देखें तो साल 2022 में चावल का उत्पादन ज्यादा से ज्यादा 8.3 मिलियन टन ही रहा होगा, जो साल 2021 के मुकाबले में करीब एक मिलियन टन कम है।
बाढ़ की वजह से पाकिस्तान में कई तरह की छोटी फसल बर्बाद हो गई, जिसका भारी असर सब्जी, दाल और सरसों जैसी चीजों पर देखने को मिला। हालांकि, साल 2022 के आखिरी दो तिमाही में पाम ऑयल के अंतराष्ट्रीय दाम में कमी देखी गई, जो पाकिस्तान के लिए एक अच्छी खबर थी लेकिन मई 2022 में आयात प्रतिबंध और घरेलू महंगाई की वजह से कोई फायदा नहीं मिल पाया।