आवाज़ ए हिमाचल
बिलासपुर। मंत्रिमंडल विस्तार में मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के करीबियों में गिने जाने वाले घुमारवीं विधानसभा के विधायक राजेश धर्माणी पहले चरण में बाहर हो गए हैं। चुनाव परिणामों के बाद से धर्माणी लगातार मुख्यमंत्री सुक्खू के साथ थे। बीते शनिवार को सुबह धर्माणी से यह पूछा गया कि उन्हें कौन सा विभाग चाहिए। लेकिन रात को सूची से उनका नाम कट गया। बताया जा रहा है कि अब धर्माणी को एक महीने इंतजार करने को कहा गया है। राजेश धर्माणी ने कहा कि इस तरह की चर्चा हुई थी। उन्होंने कहा कि जनता ने उन पर भरोसा जताया है तभी वह भाजपा मंत्री को हराकर विधानसभा पहुंचे हैं। उन्होंने कहा कि वह जनता के लिए विधायक बने हैं। कोई पद मिले न मिले लेकिन वह अपने लोगों के लिए ईमानदारी से काम करते रहेंगे। वहीं, घुमारवीं कांग्रेस के प्रवक्ता राजीव शर्मा ने बताया कि अपना-अपना कहकर धर्माणी की पीठ पर आघात किया गया है।
सीएम पर भरोसा कर ही धर्माणी ने अपने हक की लड़ाई नहीं लड़ी। कारण था कि उन्हें पहले से आश्वस्त किया गया था कि मंत्रिमंडल में उन्हें प्राथमिकता मिलेगी। लेकिन जिस तरह से बिलासपुर को अनदेखा किया गया है, वह असहनीय है। उन्होंने कहा कि सीएम ने दावा किया है कि साफ छवि के लोगों को आगे लाए हैं, लेकिन धर्माणी से ज्यादा ईमानदार नेता उन्हें कौन मिलेगा जो 10 साल विधायक रहने के बाद भी एक करोड़ तक की संपत्ति नहीं जुटा पाए। उन्होंने कहा कि अब शिमला में बात नहीं होगी। जो भी बात होगी, दिल्ली में हाईकमान से होगी। कार्यकर्ताओं ने साफ किया है कि धर्माणी अब शिमला नहीं जाएंगे। उल्लेखनीय है कि धर्माणी शपथ ग्रहण समारोह के लिए शिमला भी नहीं गए। उनके घर पर कार्यकर्ताओं की आवाजाही लगी रही। धर्माणी से पूछा गया था कि उन्हें कौन सा विभाग चाहिए। इसमें धर्माणी को उद्योग या स्वास्थ्य विभाग देने का जिक्र भी हुआ था।
विधायक राजेश धर्माणी को मंत्री न बनाने पर उनके एक समर्थक ने रोष प्रकट करते हुए मुंडन करवा लिया। सुभाष शर्मा नाम के इस कार्यकर्ता ने पहले सिर का मुंडन करवाया और उसके बाद सोशल मीडिया पर जमकर भड़ास निकाली। घुमारवीं नगर उत्थान समिति के अध्यक्ष सुभाष शर्मा ने कहा कि धर्माणी को मंत्री पद नहीं देने से वह आहत हैं, जिससे विरोध स्वरूप सिर के बाल कटवा दिए।