11 करोड़ की कर चोरी के आरोप में दो कंपनियों पर केस, एक अधिकारी संलिप्त  

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आवाज़ ए हिमाचल 

बद्दी (सोलन)।  राज्य कर और आबकारी विभाग शिमला के दक्षिण प्रवर्तन जोन परवाणू की ओर से कर चोरी के दो बड़े मामले पकड़े गए हैं। इसमें 6,70,01,081 रुपये सरकारी खजाने से गलत रिफंड दिया गया। इसके अलावा 2,61,42,271 रुपये की जीएसटी राशि को अवैध रूप से टैक्स के रूप में अनुमति दी गई थी और इस पर जमा की गई राशि वापस कर दी गई। इसमें विभाग के ही एक अधिकार की संलिप्तता सामने आ रही है। दोनों कंपनियों को करीब 11 करोड़ की राशि रिफंड कर दी गई। दक्षिण प्रवर्तन जोन ने मामलों की विस्तार से जांच करने के बाद एसजीएसटी अधिनियम की धारा 74 में मामला दर्ज किया और 10,02,79,692 रुपये का नोटिस जारी किया और दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की है। ये दोनों मामले एक ही अधिकारी की ओर से एक ही कार्यालय से संबंधित पाए गए हैं।

दूरसंचार में व्यवसाय करने वाली एक प्रसिद्ध बहुराष्ट्रीय कंपनी के पहले मामले में स्पैक्ट्रम उपयोग शुल्क और लाइसेंस शुल्क की सेवाओं पर नियमित रिटर्न में जीएसटी 18 फीसदी का भुगतान कर टैक्स का भुगतान किया। कंपनी ने 27,55,89,972 रुपये के रिफंड के 13 आवेदन दायर किए। इसमें से प्रथम अधिकारी ने अपने कार्यकाल के दौरान 9,73,62,634 रुपये के रिफंड वाले सभी आवेदनों को खारिज कर दिया। रिफंड के अस्वीकृत दावों में से करदाता ने दो मामलों में अपील दायर की, जिसमें टैक्स राशि 3,63,28,140 रुपये अभी भी अपीलीय प्राधिकारी के पास लंबित हैं। उक्त अधिकारी के बीबीएन में स्थानांतरण के बाद और जो नए अधिकारियों ने दूरसंचार के तहत एसयूसी और एलएफ सर्विस को छूट वाली सेवाओं के रूप में मान कर कंपनी की ओर से मांगा गया 6,21,55,786 रुपये के रिफंड दे दिया गया। जबकि समय पर दक्षिण प्रवर्तन क्षेत्र ने हस्तक्षेप करके वापसी के लिए लंबित दो मामलों को रोक दिया गया है, जिसमें 5,04,47,102 रुपये की जीएसटी राशि शामिल है। प्रवर्तन निदेशालय परवाणू के संयुक्त आयुक्त जीडी ठाकुर ने दोनों मामलों की पुष्टि की है।

नहीं दिया कंपनी ने जवाब

प्रवर्तन विंग परवाणू ने एसजीएसटी अधिनियम -2017 की धारा 74 में मामला दर्ज किया और कंपनी को समन किया कि वह रिफंड का दावा करने के लिए अपनी स्थिति स्पष्ट करे, जो उसे देय नहीं है। उनके स्पष्टीकरण में कोई योग्यता नहीं होने पर विभाग ने राशि के लिए डीआरसी-01ए जारी किया। रुपये उसे वापस करने के लिए 30 दिनों का समय दिया गया। कंपनी ने कोई जवाब दाखिल नहीं किया और इसलिए 7,41,37,421 रुपये की राशि के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।

इसमें भी की कार्रवाई

दूसरे मामले में जो त्रुटिपूर्ण रिफंड और कम भुगतान किए गए कर से संबंधित हैं। इस मामले में एक सेवा करदाता की ओर से प्रदान की गई 8,35,39,816 रुपये की सेवाओं को छूट के रूप में अनुमति दी गई थी। जबकि करदाता ने 18 फीसदी की दर से जीएसटी देय था। कर पहले करदाता की ओर से भुगतान किया गया था लेकिन बाद में वापस कर दिया गया था। दक्षिण प्रवर्तन जोन परवाणू ने करदाता को तलब किया और इस कर के भुगतान न करने और फिर वापसी का दावा करने के बारे में पूछताछ की। करदाता ने संतोषजनक उत्तर नहीं दिया। इसलिए करदाता के खिलाफ 2,61,42,271 रुपये के लिए डीआरसी-01 ए जारी करने सहित कानूनी कार्रवाई जारी की गई है।

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