आवाज़ ए हिमाचल
शिमला। अदाणी समूह के सीमेंट प्लांटों पर ताला लगने के बाद अल्ट्राटेक कंपनी मंगलवार से खाद्य आपूर्ति निगम के गोदामों में सीमेंट की सप्लाई पहुंचाना शुरू कर देगी। सरकार को यह सीमेंट प्रति बैग 20 रुपये तक महंगा मिलेगा। अदाणी समूह शिमला लोक निर्माण विभाग के लिए अंबुजा सीमेंट का बैग 359.50 रुपये में दे रहा था। यह अब 379.50 रुपये में मिलेगा। मनरेगा के विकास कार्यों के लिए अंबुजा सीमेंट का बैग 352 रुपये में मिल रहा था, जो अब 372 रुपये में मिलेगा। इसकी वजह यह है कि अदाणी समूह सोलन के दाड़लाघाट से यह सप्लाई भेज रहा था। दाड़लाघाट से शिमला की दूरी करीब 43 किलोमीटर है। अल्ट्राटेक कंपनी का प्लांट बिलासपुर-सोलन की सीमा बाघा पर है। यह दाड़लाघाट से 35 किलोमीटर की दूरी पर है। ऐसे में अब 78 किलोमीटर का ट्रक भाड़ा लगेगा। इसीलिए, सीमेंट के दाम बढ़ जाएंगे। प्रदेश के अन्य जिलों के लिए भी गोदामों तक ट्रक भाड़े के हिसाब से दाम तय होंगे।
खाद्य आपूर्ति निगम के प्रबंध निदेशक केसी चमन ने कहा कि बाघा सीमेंट प्लांट की दूरी ज्यादा होने से सरकारी सीमेंट के दाम बढ़े हैं। उल्लेखनीय है कि खाद्य आपूर्ति निगम की ओर से लोक निर्माण विभाग के ठेकेदारों और मनरेगा के कार्यों के लिए मंगलवार से सीमेंट मिलना शुरू हो जाएगा। वहीं, अदाणी समूह के अधिकारियों और ट्रक ऑपरेटरों के बीच भाड़े को लेकर छिड़ा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। अदाणी समूह पहाड़ी क्षेत्रों में 10.58 रुपये के बजाय छह रुपये जबकि मैदानी इलाकों में छह रुपये के बजाय तीन रुपये प्रति टन प्रति किलोमीटर भाड़ा देने पर अड़ा है। ट्रक ऑपरेटर भी झुकने को तैयार नहीं हैं।
हिमाचल में पड़ोसी राज्यों से महंगा सीमेंट बिकने के बाद उपजा विवाद सुलझाने के लिए उद्योग निदेशक की अध्यक्षता में कमेटी की जांच के बाद भी नतीजा शून्य ही रहा। प्रदेश में नई सरकार के सत्ता में आते ही सीमेंट कंपनियों पर नकेल कसी गई तो कंपनियों ने सारा ठीकरा ट्रक ऑपरेटरों के पर फोड़ दिया। कंपनी प्रबंधन और ट्रक ऑपरेटरों के बीच सीमेंट ढुलाई के रेट पर तनातनी बनी हुई है। प्रदेश में चार बड़ी सीमेंट कंपनियां अंबुजा, एसीसी, सीसीआई और अल्ट्राटेक हर साल 12.05 मिलियन टन सीमेंट का उत्पादन कर रही हैं। बावजूद इसके पड़ोेसी राज्यों की अपेक्षा हिमाचल में सीमेंट महंगा बिकता है। इस पर लंबे समय से विवाद चल रहा है।
पूर्व सरकार ने भी कमेटी गठित की थी। इसमें खनन विभाग, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, बिजली विभाग के अधिकारियों को शामिल किया गया था। कमेटी ने सीमेंट प्लाटों का दौरा करने के बाद पाया था कि सीमेंट के हिमाचल में महंगा होने के क्या कारण हैं। फरवरी 2022 में कमेटी ने सरकार को रिपोर्ट सौंपी थी। इसमें यह बात सामने आई कि कंपनियां अपने स्तर पर सीमेंट के दाम तय करती हैं। सीमेंट पर सरकार का नियंत्रण न होने से कंपनियां बेलगाम रही हैं। रेट सीमेंट की मांग और आपूर्ति के हिसाब से तय किए जाते हैं। केंद्र और राज्य सरकार ने सीमेंट को 15 फरवरी, 2002 से जरूरी वस्तु की सूची से बाहर किया है।
रिपोर्ट में यह भी सामने आया था कि कंपनियां कच्चा माल महंगा और परिवहन भाड़ा ज्यादा होने के कारण सीमेंट महंगा होने की दलील देती रही हैं। सीमेंट का पहाड़ों में ट्रक भाड़ा 10.58 रुपये प्रति किमी प्रति टन और मैदानों में 5.29 रुपये प्रति किमी प्रति टन तय है। प्रदेश में रेल से सीमेंट ढुलाई की व्यवस्था नहीं है। 31 मार्च, 2022 से 31 मार्च, 2022 तक सीमेंट के फैक्ट्री रेट के दाम हिमाचल सिविल सप्लाई ने 237.75 प्रति 50 किलो बैक तय किया है। कमेटी ने भी रिपोर्ट सरकार को सौंपकर इतिश्री कर ली थी।