आवाज़ ए हिमाचल
संपादकीय/आशीष पटियाल
18 दिसंबर।प्रदेश में नई सरकार का गठन हो चुका है।मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री का चयन होने के बाद अब मंत्रिमंडल के गठन को लेकर माथापच्ची चल रही है।पूरे प्रदेश के साथ कांगड़ा ज़िला की नजरें भी मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू व कांग्रेस आलाकमान पर टिकी हुई है कि आखिर यहां से कौन और कितने मंत्री मंत्रिमंडल में बैठेंगे।कांगडा की नजरें इसलिए भी अहम है क्योंकि कांग्रेस को सत्ता की चाबी देने में इसी ज़िला का सबसे बड़ा व अहम योगदान रहा है।15 विधानसभा क्षेत्र वाले सबसे बड़े ज़िला कांगड़ा ने इस बार 10 सीटे कांग्रेस को दी है।पूर्व में रही सरकारों की अगर बात की जाए तो विभिन्न वर्गों में बंटे इस ज़िला को हर बार तीन से चार मंत्री मिलते रहे है।पिछली जयराम सरकार में कांगड़ा को विधानसभा अध्यक्ष संग तीन मंत्री पद मिले थे तथा अब सुक्खू सरकार में कांगड़ा को लगभग तीन मंत्री मिलना लगभग तय माना जा रहा।ज्वाली से चंद्र कुमार व धर्मशाला से सुधीर शर्मा का नाम मंत्री पद के लिए लगभग तय माना जा रहा है,जबकि पालमपुर से आशीष बुटेल,ज्वालाजी से संजय रत्न,नगरोटा से आरएस बाली व शाहपुर से केवल सिंह पठानिया भी मंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे चल चल रहे।आशीष बुटेल दूसरी बार विधायक बने है,संजय रत्न भी दूसरी बार विधायक बने है,जबकि केवल सिंह पठानिया व आरएस बाली पहली बार विधानसभा पहुंचे है।कांगड़ा ज़िला की बात की जाए यहां ओबीसी व राजपूत वर्ग की तादाद सबसे अधिक है तथा यही बजह है कि सरकार चाहे कोई भी रही हो इन दोनों वर्गों को हमेशा तरजीह दी जाती रही है।ज्वाली विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने चौधरी चंद्र कुमार ओबीसी वर्ग से है तथा इसी कोटे से वे इससे पहले भी कई बार मंत्री बन चुके है और इस बार भी उनका इसी कोटे में मंत्री बनना लगभग तय है।कांगड़ा से ही सुधीर शर्मा का भी मंत्री बनना लगग तय है।सुधीर शर्मा पूर्व वीरभद्र सरकार में भी मंत्री रह चुके है तथा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता होने के साथ-साथ ब्राह्मण वर्ग से आते है।सुधीर शर्मा अगर मंत्री बनते है तो रघुवीर सिंह बाली व संजय रत्न को मुश्किल हो सकती है,क्योंकि दोनों ही नेता ब्राह्मण वर्ग से सबंध रखते है।हालांकि आरएस बाली दिल्ली में अपने बेहतर ताल्लुकात के बूते मंत्री पद के लिए अपनी गोटियां फिट करते नज़र आ रहे है,लेकिन यह भी सच्च है कि सबसे बड़े ज़िला में राजपूत वर्ग की अनदेखी करना असंभव सा नजर आ रहा है तथा यही बजह है कि केवल सिंह पठानिया अपनी मजबूत स्थिति बनाए हुए है।कांगड़ा जिला से केवल पठानिया व भवानी पठानिया दो ही विधायक राजपूत वर्ग से है तथा सिन्योरटी में केवल पठानिया भवानी पठानिया से आगे है।केवल पठानिया की बात करे तो वे एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष के साथ-साथ संगठन के कई अहम पदों पर रहे है।केवल के दिल्ली में भी बेहतर लिंक है।इसके अलावा उन्हें सरकार में काम करने का भी अनुभव है।केवल पठानिया पूर्व वीरभद्र सरकार में वन निगम व हिमाचल पथ परिवहन निगम के उपाध्यक्ष पद पर काम कर चुके है।सबसे बड़ी बात यह है कि उन्होंने शाहपुर विधानसभा क्षेत्र में 15 वर्षों से कांग्रेस के लिए चल रहे सूखे को न केवल समाप्त किया बल्कि जयराम सरकार की मजबूत मंत्री सरवीन चौधरी को 12 हज़ार से अधिक मतों से हराकर एक इतिहास भी रचा है।केवल को मिली भारी लीड भी उनकी स्थिति को मजबूत बनाए हुए है।अहम यह है कि केवल पठानिया मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू की गुड़ बुक में भी सबसे आगे चल रहे है।धर्मशाला में सुक्खू की अभिनंदन रैली का ज़िम्मा केवल को मिलना इसका बड़ा उदाहरण है।तथा सुक्खू खुद भी अपने मंत्रिमंडल में संगठन से जुड़े युवा नेताओ को तरजीह देने की बात कह चुके है।यही नही शाहपुर में चुनाव के दौरान प्रचार करने आए उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री भी केवल को मंत्री बनाने का ऐलान कर चुके है।
चर्चा यह भी चल रही है कि कांगड़ा को विधानसभा का अध्यक्ष मिलने संग सचेतक या उप सचेतक का पद भी दिया जा सकता है,ऐसे में अगर मंत्री पद न भी मिला तो भी केवल पठानिया को सचेतक,उप सचेतक या विधानसभा का उपाध्यक्ष बनाया जा सकता है।