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जीडी शर्मा, राजगढ़। राजगढ़ क्षेत्र के प्रसिद्व आराध्य देव शिरगुल महाराज की तपोस्थली चूडधार यात्रा गत वीरवार से पूर्ण रूप से बंद हो गई है। अब यात्रा अगले वर्ष बैशाखी के पावन पर्व से आरंभ होगी। यहां काबिले जिक्र है कि चूड़धार शिमला व सिरमौर की सीमा पर समुद्र तल से लगभग 12 हजार फूट की ऊंचाई पर स्तिथ है और क्षेत्र के प्रसिद्ध आराध्य देव व शिव के 10वें अवतार माने जाने वाले शिरगुल महाराज की तपोभूमि है। यहां शिरगुल महाराज का एक भव्य मंदिर है और इस स्थान तक पंहुचने के लिए सिरमौर जिले के गिरीपार क्षेत्र के हरिपूरधार, नौहराधार, बथाऊधार आदि से लगभग 10 से 15 किलो मीटर व शिमला जिले के मडाहा लाणी व संराहा से लगभग 10 से 12 किलो मीटर का पैदल ट्रेक है। चरों ओर से पूरा का पूरा ट्रेक घने जंगलो से होकर गुजरता है।
बता दें कि चूड़धार में अब तक तीन बार हिमपात हो चुका है। जहां 25 सेंटीमीटर से अधिक बर्फबारी टिक चुकी है। 9 नवंबर को पहला हिमपात हुआ था, जबकि 11 को दूसरा और 14 नवंबर को तीसरी बार हिमपात हुआ। इससे पहले यात्रा को देवोत्थान एकादशी के दिन बंद कर दिया जाता था। 15 नवंबर के बाद चूड़धार में मौसम पूरी तरह से साफ रहा, इसलिए यह यात्रा इस बार 15 दिसंबर तक जारी रही। हालांकि, सिरमौर प्रशासन ने यात्रा पर रोक लगा थी। अब मंदिर के पुजारी समेत मंदिर का पूरा स्टाफ अपने-अपने घर चला गया है। पुजारी व स्टाफ बैशाखी को ही चूड़धार लौटेगा। इस बीच स्वामी कमलानंद गिरि चूड़धार स्थित स्वामी श्यामानंद आश्रम में बैशाखी तक अकेले ही रहेंगे।
इस बार क्षेत्र के पांरपरिक पर्व प्याशली के लिए श्रद्धालुओं की आस्था को देखते हुए यात्रा को 15 दिसंबर तक जारी रखने का फैसला लिया था।