मुख्यमंत्री सुक्खू ने जयराम सरकार के आखिरी नौ महीने के फैसलों पर लगाई रोक

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आवाज़ ए हिमाचल 

शिमला। एक आम व्यक्ति से मुख्यमंत्री के पद तक पहुंचे सुखविंदर सिंह सुक्खू पहले दिन ही एक्शन मोड में दिखे। इससे पहले कि सुक्खू को पूरी कैबिनेट मिलती, उन्होंने बहुत सा काम अपने विधायकों की कमेटियां बनाकर बांट दिया। सोमवार को नए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और नए उपमुख्यमत्री मुकेश अग्निहोत्री पहली बार दफ्तर आए। दोपहर तक मिलने मिलाने का सिलसिला चलता रहा और इसके बाद नई सरकार ने फैसले लेने भी शुरू किए। ये फैसले दिन को हुई विधायक दल की बैठक की फीडबैक के आधार पर थे। सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार में पहले दिन ही सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों को दी गई सभी तरह की एक्सटेंशन और रीइंप्लॉयमेंट को टर्मिनेट कर दिया है। यह फैसला सिर्फ सरकारी मेडिकल कालेजों में लागू नहीं होगा। जयराम सरकार के दौरान बोर्ड निगमों में नियुक्त चेयरमैन, वाइस चेयरमैन और सदस्यों को हटा दिया गया है। मंदिर कमेटियों और शहरी निकायों में नॉमिनेट किए गए सदस्यों को भी टर्मिनेट कर दिया है।

एक और बड़ा फैसला लेते हुए सुखविंदर सुक्खू की सरकार ने पहले दिन ही सभी तरह की भर्ती प्रक्रिया को रोक दिया है। ये वे भर्तियां हैं, जो अभी पब्लिक सर्विस कमीशन या हमीरपुर कर्मचारी चयन आयोग के पास नहीं पहुंची हैं। बाकी भर्तियों को यथास्थिति में रखा गया है। कर्मचारी तबादलों के मामले में जो ट्रांसफर आर्डर इंप्लीमेंट नहीं हुआ है, उसे रोक दिया गया है। नई कांग्रेस सरकार ने जयराम सरकार के आखिरी नौ महीनों में लिए गए फैसलों को रोक दिया है और अब इनकी समीक्षा होगी। पहली अप्रैल, 2022 के बाद लिए गए फैसले रिव्यू किए जाएंगे और खोले गए नए दफ्तर डिनोटिफाई कर दिए हैं। इन सारे फैसलों को कैबिनेट के सामने दोबारा रखना होगा। मुख्यमंत्री ने शिलाई के विधायक हर्षवर्धन चौहान की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई है, जो शिक्षा समेत कुछ विभागों में हुई मल्टीटास्क वर्कर की भर्ती की जांच करेगी। आरोप है कि इस भर्ती में फर्जी प्रमाणपत्र भी लगाए गए हैं। इसी कमेटी की जांच का दायरा पीडब्ल्यूडी या जल शक्ति विभाग में हुई पैरा वर्कर भर्तियों तक भी पहुंचेगा। किसी कमेटी की जांच रिपोर्ट के आधार पर कैबिनेट पर फैसला लेगी। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में पूर्व की सरकार के दौरान हुई भर्तियों को भी जांच के दायरे में लिया जा सकता है। कुछ कांग्रेस विधायकों ने इन भर्तियों पर भी सवाल उठाए थे। सुखविंदर सिंह सुक्खू ने घुमारवीं से विधायक राजेश धर्माणी को अनाथ बच्चों के लिए नई पॉलिसी बनाने का काम दिया है। मुख्यमंत्री शपथ ग्रहण के बाद टूटी कंडी स्थित अनाथ आश्रम गए थे और बच्चियों से मिले थे।

इसके बाद सोमवार को राजेश धर्माणी को मशोबरा स्थित अनाथ आश्रम भेजा गया और सारी जानकारी जुटाने को कहा गया। मुख्यमंत्री चाहते हैं कि अनाथ बच्चों में शादी तक बेटियों और नौकरी लगने तक लडक़ों को सहारा राज्य सरकार दे। इस बारे में राजेश धर्माणी एक पॉलिसी ड्राफ्ट बनाकर देंगे। एक और फैसला यह लिया गया है कि अटल टनल रोहतांग में उद्घाटन के समय हटाई गई सोनिया गांधी की शिलान्यास पट्टिका को दोबारा स्थापित किया जाएगा। सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार सोनिया गांधी द्वारा रखी गई अटल टनल रोहतांग की आधारशिला पट्टिका को पुनस्र्थापित करने का मामला संबंधित प्राधिकारी के समक्ष रखा जाएगा। यह पट्टिका सोनिया गांधी द्वारा 28 जून, 2010 को बतौर राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के अध्यक्ष के रूप में स्थापित की गई थी। नई सरकार ने पीडब्ल्यूडी और जल शक्ति विभाग के लिए वित्त विभाग से जारी होने वाले लेटर ऑफ क्रेडिट यानी एलओसी को भी फिलहाल रोक दिया है। यह इसलिए करना पड़ा है, क्योंकि इन विभागों के लिए अभी कोई मंत्री नियुक्त नहीं है, इसलिए जब तक कैबिनेट पूरी नहीं बन जाती तब तक नए टेंडर जारी करने या पैसा जारी करने पर एक तरह से रोक रहेगी।

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