आवाज़ ए हिमाचल
जी डी शर्मा, राजगढ़। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व सात बार विधायक रह चुके गंगूराम मुसाफिर लगातार चौथी बार चुनाव हार गए हैं। वीरवार को संपन्न हुई मतगणना में मुसाफिर तीसरे नंबर पर रहे। यहां से भाजपा की रीना कश्यप दूसरी बार चुनाव जीती। कांग्रेस का टिकट न मिलने से नाराज बतौर आजाद प्रत्याशी चुनाव लड़े वरिष्ठ कांग्रेसी नेता जीआर मुसाफिर लगातार चौथी बार चुनाव हार गए। पच्छाद विधानसभा क्षेत्र से मुसाफिर को 2012 के चुनाव से लगातार जनता नकार रही है।
दरअसल इस बार के विधानसभा चुनाव में मुसाफिर को कांग्रेस की तरफ से टिकट नहीं मिला ।इसके चलते उनके समर्थक पार्टी से खफा हो गए और मुसाफिर ने भी बतौर आजाद उम्मीदवार चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। वीरवार को संपन्न हुई मतगणना में मुसाफिर तीसरे नंबर पर रहे। यहां से भाजपा की रीना कश्यप दूसरी बार चुनाव जीती, जबकि मुसाफिर का टिकट काट कर भाजपा से कांग्रेस में आई दयाल प्यारी को इस चुनाव में दूसरे नंबर पर रही। रीना को कुल 21215, दयाल प्यारी को 17358 व जीआर मुसाफिर को 13186 मत हासिल हुए।
राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो मुसाफिर की लगातार चौथी बार हार से उनके राजनीतिक जीवन पर पूरी तरह से संकट के बादल छा गए हैं। बता दें कि वरिष्ठ कांग्रेस नेता माने जाने वाले गंगूराम मुसाफिर पच्छाद विधानसभा क्षेत्र से कभी 7 बार विधायक रहकर जनता के दुलारे रहे चुके हैं, लेकिन 2012 के चुनाव से यहां की जनता उन्हें लगातार नकार रही है। 1982 में वन विभाग में सेवारत रहे मुसाफिर ने उस समय कांग्रेस विचारधारा से प्रभावित होकर कांग्रेस से टिकट मांगा मुसाफिर को उस समय पार्टी टिकट नहीं मिला, तो वह आजाद उम्मीदवार के रूप में ही लड़े और जीत हासिल की। बाद में उन्हें कांग्रेस में शामिल कर लिया गया।
सिरमौर जिले की पच्छाद सीट से उस समय शुरू हुआ जीत का यह सिलसिला वर्ष 1985, 90, 93, 98, 2003 और वर्ष 2007 में भी जारी रहा। अपने राजनीतिक जीवन में मुसाफिर मंत्री रहने के साथ-साथ विधानसभा अध्यक्ष भी रह चुके हैं। 2012 के बाद से पच्छाद सीट पर लगातार भगवा लहरा रहा है। 2012 व 2017 में यहां से भाजपा के सुरेश कश्यप विजयी रहे थे। वहीं 2019 के उपचुनाव में पहली बार जीत दर्ज कर विधानसभा में पहुंची भाजपा की रीना कश्यप इस चुनाव में भी दूसरी बार इस सीट पर कमल खिलाने में कामयाब रही।
बता दें कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप भी इसी विधानसभा क्षेत्र से ताल्लुक रखते हैं। ऐसे में 2012 के चुनाव से पहले तक कभी कांग्रेस की परंपरागत सीट रही पच्छाद विधानसभा पिछले चार चुनावों से भाजपा का गढ़ बन चुकी है।