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शिमला। प्रवर्तन निदेशालय की ओर से की तय किए गए आरोपों के बाद विशेष न्यायाधीश प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट ने शिमला के चरस तस्कर दीपराम ठाकुर समेत पांच लोगों को 10 से 20 साल की सजा सुनाई है। इसके अलावा आरोपियों को सजा के साथ भारी जुर्माना भी लगाया गया है।
ईडी ने शिमला के दीपराम ठाकुर, ऊषा देवी, अजय ठाकुर, सत्या देवी और मेहर सिंह के खिलाफ मामला दर्ज कर उनकी संपत्ति की जांच की थी, जिसमें इन्हें दोषी पाया गया। गौर हो कि पुलिस थाना बालूगंज की जतोग चौकी पुलिस के तहत दिव्यानगर के पास 25 मार्च, 2016 को अमन ठाकुर और विपिन को 10 ग्राम अफीम के साथ पकड़ा था। आरोपियों ने पूछताछ में खुलासा किया कि उन्होंने दिव्यनगर के दीपराम से इसे खरीदा है। इसके बाद 25 मार्च की रात को बालूगंज पुलिस ने दीपराम के दिव्यनगर स्थित घर में दबिश दी। इसमें पुलिस को आठ किलो अफीम व आठ किलो चरस मिली थी। आरोपी ने नशे की खेप को बेसमेंट में छिपाया था।
पुलिस टीम ने बेसमेंट को तोड़ा और रैक के अंदर रखी अफीम, चरस बरामद की। आरोपी के घर से नकदी, आभूषण व चेकबुक सहित व अन्य दस्तावेज भी पुलिस ने कब्जे में लिए थे। पुलिस ने मामले की जांच करते हुए मेहर सिंह को भी गिरफ्तार किया। पुलिस ने आरोपी के कब्जे से एक किलो 282 ग्राम अफिम बरामद की थी। बाद में पुलिस ने मामले में सेक्शन 25 को जोड़ते हुए दीपराम की पत्नी ऊषा को भी पकड़ा था। प्रवर्तन निदेशायल ने एफआईआर के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट 2002 के प्रावधानों के तहत जांच शुरू की। शिमला पुलिस से चरस तस्कर दीपराम की संपतियों का पूरा रिकार्ड ईडी को दिया। ईडी ने नकदी और बहुमूल्य सामान का पूरा खाका तैयार किया। जिसे विशेष न्यायाधीश पीएमएलए के सामने रखा। ईडी जांच के सभी निष्कर्षों को देखने के बाद, गवाहों के बयान और उससे जुड़े अन्य दस्तावेज को देखते हुए इन सभी पांच आरोपियों के खिलाफ अब आरोप तय किए हैं।