कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जीआर मुसाफिर टिकट कटने के बाद बतौर आजाद उम्मीदवार मैदान में, 25 अक्तूबर को हजारों समर्थकों के साथ भरेंगे नामांकन पत्र
आवाज़ ए हिमाचल
जी डी शर्मा, राजगढ़। पच्छाद विधानसभा क्षेत्र में 40 सालों के बाद कांग्रेस में बगावत हो गई है। इससे पहले 1982 में भी ऐसे ही हालत पैदा हो गये थे। 1982 में भी जीआर मुसाफिर ने टिकट के लिए आवेदन किया था मगर कांग्रेस ने टिकट सदानंद को दिया मगर जी आर बतौर आजाद उम्मीदवार मैदान मे उतरे थे और लगभग 4 हजार मतों से विजयी हुए और हिमाचल विधानसभा में त्रिशंकु विधानसभा बनने के कारण मुसाफिर ने कांग्रेस का दामन थाम लिया और राम लाल मुख्यमंत्री बने। उसके बाद उन्होने 2012 तक मुड़कर पीछे नहीं देखा। वे पहली बार विधायक बनते ही उप वनमंत्री बने उसके बाद अनेको बार कैबिनेट मंत्री रहने के बाद विधानसभा अध्यक्ष भी रहे और ठीक 30 सालों के बाद साल 2012 में पहली बार भाजपा के सुरेश कश्यप ने जीआर मुसाफिर को हराया और आज 1982 के बाद फिर वही इतिहास दोहराया जा रहा है। अब 2022 में फिर गंगूराम मुसाफिर बागी होकर मैदान में उतर गए हैं।
इस मामले को लेकर आज राजगढ़ में एक आम सभा का आयोजन किया गया, जिसमें सैंकड़ों लोगों ने भाग लिया और सभी ने कांग्रेस पार्टी से सामुहिक त्यागपत्र देकर मुसाफिर को समर्थन देकर उनको आजाद उम्मीदवार के रूप में मैदान मे उतार दिया। इस आम सभा में निर्णय लिया गया कि मुसाफिर 25 अक्तूबर को निर्दलीय अपना नामांकन पत्र दाखिल करेंगे। पच्छाद कांग्रेस में हुई इस बड़ी बगावत से कांग्रेस पार्टी की मुश्किलें बढ़ गई हैं, जिसमें बर्खास्त पच्छाद कांग्रेस के लगभग सभी पदाधिकारी भी शामिल हुए। बैठक में सभी वक्ताओं ने कहा कि पच्छाद कांग्रेस कमेटी व जिला कांग्रेस कमेटी की संस्तुतियों को दरकिनार कर हाल ही में कांग्रेस में आई दयाल प्यारी को कांग्रेस टिकट देकर आला कमान ने आम पार्टी कार्यकर्ताओं का अपमान किया है, जिसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
इस मौके पर पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष बैलीराम, राज कुमार ठाकुर, शर्मा, देवेन्द्र शास्त्री, सुन्दर सिंह ठाकुर, संजीव शर्मा, परीक्षा चौहान, इंद्रा कश्यप, सोहन सिंह हाब्बी, रत्तन कश्यप, पूर्णचंद ठाकुर व सूर्यकांत शर्मा ने विचार व्यक्त किए।