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अभिषेक मिश्रा, बिलासपुर। भले ही पर्दे के पीछे के कार्यकर्ताओं को कभी आगे आने का मौका न मिलता हो लेकिन उनकी मेहनत ही होती है जो पर्दे के आगे के कलाकारों के हुनर में चार चांद लगाती है। जी हां यहां बात हो रही है उतरी भारत की सुप्रसिद्ध श्री राम नाटक बिलासपुर की, जो अपने सटीक, स्पष्ट संवादों के साथ बेहतरीन प्रेजेंटेशन के लिए मशहूर है। वर्तमान में काफी सालों से यह काम युवा वरिष्ठ कार्यकर्ता संजय कंडेरा और उनकी कर्मठ टीम के हवाले है। बिलासपुर में श्री राम नाटक का संचालन 11 दिन होता है। संजय कंडेरा की यह टीम हर दृश्य को उस समय के काल, समय, स्थिति और भाव को मंच पर तैयार करने के लिए पूरी तरह से दक्ष एवं अनुभवी है।
श्री राम नाटक समिति बिलासपुर के यह ऐसे कर्मठ और ईमानदार कार्यकर्ता हैं जो अपने प्रभारी संजय कंडेरा के कुशल मार्गदर्शन में दिन रात एक करते हैं।
उल्लेखनीय है कि रात के समय को जो भी दृश्य दिखाए जाते हैं उनकी तैयारी यह दिन को करना शुरू कर देते हैं, दृश्य में कोई कमी न रह जाए इसका विशेष ध्यान रखा जाता है। यही नहीं जब रात को मंचन की समाप्ति होती है तो यह टीम सारे सेटों का मंच से हटाकर अगली तैयारी शुरू कर देते हैं। इन दिनों इस टीम का मुश्किल से चार या पांच घंटे सोने का समय मिलता है जबकि भोजन करने का भी कोई समय नहीं है। निस्वार्थ भाव से दृश्यों को और बेहतर तरीके से दर्शाने के लिए अपने विवेक का यह टीम पूरा प्रयोग करती है और दर्शकों को दृश्य पसंद आए इसके लिए कड़ी मेहनत करती है। मंचन के दौरान जंगलख् राज दरबार या युद्ध आदि के कोई भी दृश्य हो तो उसे चंद मिनटों में तैयार करना इस टीम की खूबी है। रात को दो या अढ़ाई घंटे के शो में बड़े दृश्यों का मंचन करना बहुत जटिल कार्य होता है लेकिन भारी भरकम सेट स्थापित करने और उन्हें क्षण में बाहर करने की शक्ति एवं समझ इस टीम में स्वत ही आती है। दर्शक टीवी मोबाईल से बाहर निकले इसके लिए इस टीम द्वारा दृश्यों में आए दिन नयापन लाने का प्रयास किया जाता है।
समिति के तकनीकी निर्देशक स्वर्गीय विजय बंसल द्वारा कुंभकरण व मेघनाद के लाईव छह टुकड़े मंच पर दिखाना आदि की परंपरा को यह टीम आगे बढ़ा रही है। गौर हो कि इससे पूर्व स्वर्गीय मदरू राम, रमेश हंस, निर्मल कौंडल जैसे कुशल कार्यकर्ताओं ने इस कार्य को दशकों तक संभाल कर रखा था, इसी परंपरा को अब संजय कंडेरा की टीम आगे बढ़ा रही है। जबकि लाईट एवं साउंड में सुनील पंवर, मनोज गागट, विशाल ठाकुर, बाॅबी, निशांत शर्मा लप्पू, चंद्रशेखर, विनोद शर्मा, राजेश कुमार, राहुल घई, सुमित मैहता, विकास पुंडीर, अनुज खजूरिया, अंशुल, शेर बहादुर, सतीश मैहता, अनीश ठाकुर, अजय राही में अपना अहम योगदान देते हैं। जिसमें नितिन कुमार तांडी, आशीष कंडेरा, मनीष कौंडल, अमन, रोहित, गौरव, लोहित हंस, शुभम, रमन गागट, विनीत जोगी, अंश, अरूण, अमित, राहुल, पवन, सुद्धांशू, अमन, रजत, आदि शामिल हैं।