टेस्ट में जिनके 35 फीसदी से कम स्कोर आया, उनको नहीं दिया जाएगा काम
आवाज़ ए हिमाचल
शिमला। हिमाचल प्रदेश की सड़कों की गुणवत्ता की जांच करने वाले अधिकारी टेस्ट में फेल हो गए। भारत के दस राज्यों की ग्रामीण सड़कों की निर्माण गुणवत्ता जांच करने वाले अधिकारियों की पात्रता पर सवाल खडे़ किए गए हैं। इनमें हिमाचल प्रदेश भी एक है। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने इस संबंध में आईआईटी भुवनेश्वर से एक सर्वेक्षण करवाया है। इसके साथ राज्य गुणवत्ता नियंत्रण अधिकारियों की कार्यशैली पर भी प्रश्नचिह्न लगाया है।
ग्रामीण विकास मंत्रालय की राष्ट्रीय आधारभूत ढांचा विकास एजेंसी (एनआरआईडीए) ने इस संबंध में हिमाचल प्रदेश के प्रधान सचिव लोक निर्माण और प्रमुख अभियंता को इस संबंध में एक चिट्ठी भेजी है। 16 सितंबर को लिखे इस पत्र के अनुसार दस प्रदेशों के राज्य गुणवत्ता नियंत्रण अधिकारियों (एसक्यूएम) का परीक्षण किया गया। इसके लिए ऑनलाइन प्रवीणता परीक्षण लिए गए। यह राज्य असम, बिहार, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, महाराष्ट्र, पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल हैं। अन्य राज्यों में भी एसक्यूएम का यह परीक्षण जल्द होगा। इसमें पाया गया कि इनमें कुछ राज्यों में गुणवत्ता नियंत्रण अधिकारियों की कार्यशैली कमजोर रही है। इनमें कुछ को तो इंजीनियरिंग प्रैक्टिस की आधारभूत जानकारी भी नहीं है। इनमें हिमाचल की स्थिति भी अच्छी नहीं आंकी गई है।
इस परीक्षण में पाया गया है कि ऐसे गुणवत्ता नियंत्रण अधिकारी (एसक्यूएम) जिनका स्कोर ऑनलाइन प्रोफिशियेंसी टेस्ट में 35 प्रतिशत से कम है, उन्हें निरीक्षण का काम नहीं दिया जाएगा। उन्हें अगले टेस्ट में स्कोर को अच्छा करना होगा, उसके बाद ही उन्हें यह काम दिया जाएगा। राज्य गुणवत्ता समन्वयक ऐसे अधिकारियों को सड़कों की जांच का काम ही नहीं देंगे। मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव डॉ. आशीष कुमार गोयल ने इस बारे में अधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं।