गद्दी सिप्पी उत्थान संस्था के अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंप वर्षों पुरानी लंबित मांग को पूरा करने की लगाई गुहार
आवाज़ ए हिमाचल
ब्यूरो, पालमपुर। गद्दी सिप्पी उत्थान संस्था चम्बा कांगड़ा हिमाचल प्रदेश अध्यक्ष हाकम भारद्वाज 13 सितम्बर को पालमपुर प्रवास पर आए मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर से मिले।
इस अवसर पर हाटी समुदाय की तर्ज पर गद्दी समुदाय की गद्दी शब्द से वंचित 6 उपजातियों को जनजातीय दर्जा दिलाने की वर्षों पुरानी मांग को मुख्यमंत्री के समक्ष जोर शोर से उठाया और इस संबंध में एक ज्ञापन मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर को सौंपा।
हाकम भारद्वाज ने मुख्यमंत्री को सौंपे ज्ञापन में बताया कि कई वर्षों से गद्दी समुदाय की 13 उपजातियों में से वंचित छह उपजातियों के साथ गद्दी शब्द न जुड़ने की मांग लंबित है। बावजूद इसके अब तक कई बार सरकार से मांग उठाने पर भी मांग को पूरा नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि गद्दी समुदाय में 13 उपजातियां हैं और इन 13 उपजातियों में से सात उपजातियों को जनजातीय दर्जा प्राप्त है और छह उपजातियां आज भी वंचित हैं। सरकार से बार-बार मांग की जा रही है कि इन उपजातियों को भी जनजातीय दर्जा दिया जाए तथा गद्दी समुदाय को विभाजित न किया जाए। इन लोगों की और हमारी एक ही वेशभूषा है । एक ही तरह के धार्मिक रिवाज है। मरने -जीने में एक ही तरह की रस्में अदा की जाती हैं । जो हमारा चोलु, टोपु, पुरुषों का पहनावा है और महिलाओं का लुआंचडी, डोरा है वही ये लोग भी पहनते हैं और हमारी भाषा भी एक है तो फिर इसमें भिन्नता क्यों है? अन्याय क्यों है? उच्च नीच क्यों है? सरकार को और सभी राजनीतिक दलों को पता है कि गद्दी एक जाति का नाम न हो कर एक समुदाय है और इस समुदाय में जिस जाति में गद्दी शब्द लगा है उस जाति को एसटी का दर्जा मिल चुका है। अब केवल सिप्पी, बाढी, हाली, रिहाडा, लोहार, ढोगरी नामक 6 उपजातियां ऐसी हैं जिनके नाम के आगे भरमौर में गद्दी शब्द जुड़ा है लेकिन भरमौर के बहार नहीं है, जोकि एक उचित मांग है और ये चुनाव से पहले पूरी हो, अन्यथा भाजपा को मिशन रिपीट में बाधा आ सकती है। विधानसभा क्षेत्रों में यह उपजातियां चुनावी समीकरण विगाड़ सकतीं हैं। इस दौरान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर द्वारा आशावान दिया गया कि गद्दी समुदाय की इस लंबित मांग को जल्द से जल्द पूरा किया जाएगा।
“रेवेन्यू विभाग का उच्चअधिकारी द्वारा बार-बार उलझाया जा रहा मामला”
हाकम भारद्वाज ने जानकारी दी कि इसी दिन एक अन्य प्रतिनिधिमंडल हिमालयन गद्दी यूनियन की तरफ से भी माननीय मुख्यमंत्री से मिला तथा गद्दी समुदाय की वंचित उपजातियों के साथ गद्दी शब्द लगाने वारे प्रार्थना की गई। इसमें यह बात सामने आ रही है कि जिलाधीश कांगड़ा, चम्बा तथा मंडी के द्वारा इन वंचित उपजातियों की रिपोर्ट हिमाचल सरकार को इन जातियों के पक्ष में दी गई है, लेकिन रेवेन्यू विभाग के एक उच्च अधिकारी द्वारा बार-बार यह मामला उलझाया जा रहा है। नोटीफिकेशन निकालने के बजाय बार-बार वापिस इन जिलाधीशों को रिव्यू करने के लिए भेजा जाता रहा है। मुख्यमंत्री और राजस्व मंत्री के द्वारा आदेश दिए जा चुके हैं कि इन वंचित उपजातियों के रेवेन्यू विभाग के रिकॉर्ड में गद्दी शब्द लगाया जाए, लेकिन एक उच्चअधिकारी जो सरकार और कैविनेट के आदेश मानने से इंकार कर रहे हैं। उन्होंने मांग की है कि यह कार्य जल्द से जल्द किया जाए।