आवाज़ ए हिमाचल
शिमला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का महत्वाकांक्षी अल्ट्रामेगा रिन्यूएबल एनर्जी पावर पार्क (यूएमआरईईपी) विकसित करने की योजना हिमाचल प्रदेश में सिरे चढ़ने जा रही है। जनजातीय जिले लाहौल-स्पीति के काजा में 880 मेगावाट के प्रस्तावित इस सोलर ऊर्जा पार्क की डीपीआर तैयार कर ली गई है।
सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड (एसजेवीएनएल) ने परियोजना की डीपीआर तैयार कर मंजूरी के लिए केंद्रीय नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) को भेज दी है। यहां से मंजूरी मिलने के बाद सोलर पार्क बनाने का कार्य शुरू किया जाएगा। देश का यह पहला सबसे बड़ा सोलर ऊर्जा पार्क होगा। इस पूरी परियोजना पर करीब 5,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च होगा। एसजेवीएनएल इसका निर्माण करेगा। इसमें काजा में सात जगह सोलर प्लांट बनेंगे। इनमें 100 से 200 मेगावाट तक बिजली तैयार होगी।
काजा से उत्पन्न होने वाली बिजली बाहर निकालने के लिए वांगतू सबस्टेशन तक 197.14 किमी लंबी ट्रांसमिशन लाइन बिछेगी। सेंट्रल ट्रांसमिशन यूटिलिटी (सीटीयू) 1,100 करोड़ की लागत से इस लाइन को बिछाने का कार्य करेगी। सरकार ने 31 दिसंबर 2025 तक इस परियोजना का कार्य पूरा कर बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा है। इस प्रोजेक्ट में हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा। वहीं, जनजातीय जिले में भारी बर्फबारी में भी बिजली संकट नहीं होगा। हिम ऊर्जा के सीईओ राहुल कुमार ने बताया कि मुख्य सचिव आरडी धीमान की अध्यक्षता में सरकार की ओर से बनाई गई कमेटी इस सोलर ऊर्जा पार्क के निर्माण कार्य की मानीटरिंग कर रही है।
सोलर ऊर्जा पार्क विकसित करने पर करीब 4,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसमें हिक्किम, किब्बर, डामुल, हुल, लादरचा, लोसर और पोह में सोलर प्रोजेक्ट बनेंगे। इसके अलावा जिला किन्नौर में 400 मेगावाट की सोलर पार्क परियोजना से उत्पन्न बिजली को भी शलखर गांव के पास काजा-वांगतू ट्रांसमिशन लाइन के साथ जोड़ा जाएगा। बीते दिनों केंद्र से इसकी मंजूरी मिली है। करीब 2,000 करोड़ की इस परियोजना की भी डीपीआर बनाई जा रही है। इससे सरकार को फायदा होगा।