आवाज़ ए हिमाचल
जीडी शर्मा,राजगढ़
14 अगस्त।कलियुग में ईश्वर के स्मरण मात्र से हमारे सभी पाप दोष कट जाते है तथा ईश्वर भक्ति ही मोक्ष की कुंजी है।यह बात आर्चाय सुमित भारद्वाज ने भगवान जगन्नाथ मंदिर लाना चेता में स्थानीय जनता के सहयोग से क्षेत्र की सुख शांति,स्मृद्वि व प्राकृतिक आपदाओं से विश्व की रक्षा एवं जन कल्याण हेतू आयोजित शिव महा पुराण के कथा प्रवचन के दौरान कही। आयोजक समिति के सदस्य अशोक ठाकुर ने बताया कि आर्चाय सुमित भारद्वाज ने कथा प्रवचन में बताया कि जिस घर में नियमित तौर पर पूजा पाठ होता है,वे घर मंदिर के समान बन जाता है।
संतो के सानिध्य व कथा श्रवण से हमारा जीवन सुधर जाता है और परमात्मा की प्राप्ति होती है। उन्होने कहा कि माता पिता की सेवा से भी ईश्वर को प्राप्त किया जा सकता है।मगर आज मगर कष्ट के साथ पाली गई औलाद भी अपने माता पिता को दुत्कार कर वृद्व आश्रम भेजने से पीछे नही रहती।यह भारत की सनातन सभ्यता व स्मृद्व पारिवारिक पंरपरा पर एक बडा कंलक है।आज हमारा समाज पाश्चात्य संभ्यता की और जा रहा है और अपनी अमूल्य संभ्यता व संस्कृति को भूलता जा रहा है।
गौ माता की महिमा का वर्णन करते हुए भारद्वाज का कहना था कि गौ माता के रोम रोम में देवता का वास है, लेकिन आज गाय जब तक दूध देती है तब तक हम उसकी सेवा करते है और जब दूध देना बंद कर देती है तो उसे सड़कों पर भूखा मरने के लिए छोड देते है। भारद्वाज का कहना था कि हमे कभी भी अभिमान नही करना चाहिए और जितना हो सके मानव सेवा के लिए आगे आना चाहिए। उनका कहना था कि काम ,क्रोध व लोभ हमारे महा शत्रु है और लोभ हम से बडे से बडा पाप करवा देता है। उनका कहना था कि सुदामा व कृष्ण की मित्रता हमे सिखाती है।जिसके पास प्रेम का धन है वे कभी निर्धन नही हो सकता। राजा हो या रंक मित्रता में सभी एक समान है।भारद्वाज ने कहा कि सभी धर्मों का मूल वेद है वेदो में जिस धर्म का निरुपण किया गया है।
भगवान राम ने उसके स्वरुप को अपने चरित्र से सिद्ध करके दिखाया है।हमे अपना जीवन कैसे बिताना चाहिए, यह शिक्षा हमे राम चरित मानस से मिलती है।चरित्र का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि हमे मर्यादित रह कर सत्य का आचरण करते हुए जीवन जीना चाहिए।