ओटीए चेन्नई से लेफ्टिनेंट बनकर घर पहुंचे मछयाल के आदित्य बलौरिया ने खोले दिल के राज
आवाज़ ए हिमाचल
07 अगस्त।चेन्नई की ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी से शॉर्ट सर्विस कमीशन लेकर सेना में लेफ्टिनेंट बनकर घर पहुंचे शाहपुर की मछयाल के आदित्य बलौरिया ने कहा कि बचपन से ही उन्हें बैठकर काम करना बिल्कुल भी पसंद नहीं था, इसलिए वे खेलने के लिए निकल जाते थे। आउटडोर एक्टिविटीज,ट्रेकिंग,हाईकिंग में भी उनकी रुचि रही है।खाली समय में वे अक्सर मोबाइल फोन पर सेना की वीडियो देखते थे।वीडियो में सेना के कार्य करने के तरीके देख कर उन्होंने खुद को इस रूप में ढाल लिया कि वे सेना के लिए ही बने है तथा यही बजह है कि वे सेना में जाने का तरीका तलाशते रहे। पालमपुर में कृषि विश्वविद्यालय में बीएसई की पढ़ाई के दौरान एनसीसी से जुड़े या यूं कहें की सेना में जाने के लिए एक जरिए की तलाश में रहे,क्योंकि बारहवी के बाद उनका सेना में जाने का जरिया बंद हो गया था तथा एनसीसी को उन्होंने जरिया बनाया और कड़ी मेहनत के बूते उन्हें एनसीसी विशेष योजना तहत ओटीसी चेन्नई में प्रशिक्षण के लिए चुन लिया गया।आदित्य का कहना है उनके सेना में जाने के सपने को साकार करने में माता पिता की भी पूर्ण सहयोग रहा।माता पिता ने उन्हें कभी भी सेना में जाने से नहीं रोका।उन पर कभी भी प्रेशर नहीं रहा तथा वे उनका पूर्ण सहयोग करते रहे।आदित्य ने कहा कि उन्हें पता तो था कि उनके घर आने पर कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है,लेकिन खुद सामने से देखना की कितने लोग खुश है,रिश्तेदार व घरवालों में कितनी खुशी है,उनके लिए बहुत बढ़िया पल है।घर आने पर उनका जोरदार स्वागत हुआ है।लोगों,गांववासियों व रिश्तेदारों की खुशी देखकर वे बहुत खुश है।उन्हें बहुत अच्छा महसूस हो रहा है कि भारी संख्या में लोग,रिश्तेदार व गांववासी उनकी खुशी में शामिल हुए।आदित्य ने कहा कि खेलना उन्हें बहुत पंसद है।आठवीं कक्षा में क्रिकेट खेला तो सोच लिया की क्रिकेटर बनना है।आगे फुटबॉल देखा तो फुटबॉलर बनना है।उन्हें बैठना बिल्कुल भी पसंद नहीं है।बस मैदान में जाओ और खेलते रहो।उन्होंने फुटबॉल नेशनल तक खेला है। यूनिवर्सिटी में बैडमिंटन
सीखा तो नार्थ जॉन तक खेला।गेम्स सारी खेली है, कोई गेम छोड़ी नहीं है, लेकिन बैडमिंटन और फुटबॉल में वे आगे तक खेले है।उन्होंने लेफ्टिनेंट बनने पर कह कि जिस तरह से ओहदा ऊपर जाता है, रिस्पांसिबिलिटीस भी बढ़ती है।समाज के प्रति, देश व भारत माता के प्रति उनकी रिस्पांसिबिलिटीस बढ़ी है तथा उसे अच्छी तरह से निभाना ही उनका मुख्य उद्देश्य है।उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि अपने लक्ष्य को पाने के लिए पॉजिटिव बने रहे है,कभी हार नहीं माननी चाहिए।उन्होंने कहा कि उनके साथ ऐसे भी युवा थे जो 22वे प्रयास में ट्रेंनिग के लिए आए थे।22 बार बहुत होते है,इसलिए हिम्मत नही हारनी चाहिए तथा तब तक प्रयास करने चाहिए तब तक लक्ष्य हासिल न हो जाए।