ज्ञापन सौंप कर कुछ और समय देने की लगाई गुहार
आवाज़ ए हिमाचल
स्वर्ण राणा, नूरपुर। पठानकोट-मंडी फोरलेन सड़क निर्माण के पहले चरण का कार्य उपमंडल नूरपुर के तहत पड़ते क्षेत्र में शुरू हो गया है। पहले चरण में फोरलेन चक्की के साथ लगते कंडवाल से लेकर भेड़ खड्ड तक लगभग 28 किलोमीटर बनेगा, जिस पर लगभग 828 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इस फोरलेन का निर्माण कार्य आईआरबी कंपनी द्वारा किया जाएगा। शुरुआती निर्माण कार्य में कंपनी ने क्लीनिंग एंड गर्विंग का कार्य शुरू कर दिया, जिसमें खाली जगह को साफ कर उसे समतल करना शुरू कर दिया है और यह करीब चार-पांच जगहों पर यह कार्य कर दिया गया है, लेकिन कुछ फोरलेन प्रभावितों ने एसडीएम नूरपुर अनिल भारद्वाज से कुछ और समय देने की अपील की है।
फोरलेन प्रभावित वलदेव सिंह ने कहा कि मौहाल जाछ में मेरी 6 दुकानें पड़ती हैं, जिसमें हमने टायर, स्पेयर पार्ट्स का सामान रखा हुआ है। हमें फारलेन वाले तीन दिन से धमकियां दे रहे हैं कि अगर हमने दुकानें नहीं तोड़ी तो हम रात को आकर दुकानें तोड़ देंगे। हमने उनसे इनको तुड़वाने के लिए कुछ समय मांगा, क्योंकि लेबर न मिल पाने की वजह से हम तोड़ नहीं पा रहे हैं। मगर फोरलेन वाले हमें परेशान कर रहे हैं।
उन्होंने बताया की आज हमने एसडीएम नूरपूर को एक ज्ञापन दिया है, जिसमें हमने समय मांगा है ताकि हम अपना सामान निकाल कर रख सकें।
वहीं, फोरलेन प्रभावित ध्रुव महाजन ने कहा कि मैं जाछ मौहाल से हूं, आज हम एसडीएम नूरपूर से मिलने आए हैं। हमने शिकायत की है कि हाईवे अथॉरिटी ने हमें अपनी बिल्डिंग खाली करने व तोड़ने के लिए 60 दिनों का समय दिया था परन्तु मैं प्रशासन और हाईवे अथॉरिटी से सवाल पूछना चाहता हूं कि क्या दो महीनों में तोड़कर दोबारा बनाना यह सम्भव है? इस समय बरसात का भी मौसम चला हुआ है। इसलिए हम थोड़ा और समय चाहते हैं।
इसी तरह एक अन्य फोरलेन प्रभावित ने कहा की मैं जाछ गांव से हूं। मेरा शोरुम और दुकान एक सौ सात स्क्वायर मीटर में तीन मंजिल बना हुआ हैं। आज आरवीआई वाले हमें कह रहे हैं कि इसे अभी के अभी डिस्मेंटल करो। हमें दो महीने का समय दिया था। तीन मंजिला बिल्डिंग दो महीने में तोड़ना और फिर बनाना ये कैसे क्या हो सकता है। हमने बिल्डिंग को ऊपर से तोड़ना शुरू किया हुआ है, लेकिन जो विभाग के अधिकारी हैं वह कह रहे कि आपने बिल्डिंग ऊपर क्यों तोड़ना शुरू की नीचे से तोड़ते। हम रेगुलर सरकार को टैक्स दे रहे हैं और सरकार हमें यह सिला दे रही है, जबकि सबको पता है कि यह नहीं हो सकता।