आवाज़ ए हिमाचल
चंडीगढ़। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान बाबा फरीद यूनिवर्सिटी के वीसी पद से इस्तीफा दे चुके डॉ. राज बहादुर को हर हाल में रोकना चाहते हैं, लेकिन स्वास्थ्य मंत्री चेतन सिंह जौड़ामाजरा के बर्ताव से आहत डॉ. राज बहादुर ने दूसरी बार मुख्यमंत्री के आग्रह को ठुकरा दिया और इस्तीफा वापस लेने से इन्कार कर दिया है। दूसरी ओर इस मामले को लेकर आम आदमी पार्टी (आप) और मुख्यमंत्री भगवंत मान के बीच मतभेद उभरने लगे हैं।
मुख्यमंत्री जहां डॉ. राज बहादुर के प्रति सकारात्मक रवैया अपनाए हुए हैं, वहीं पंजाब आप के नेता स्वास्थ्य मंत्री के बचाव में एकजुट हो गए हैं। सीएमओ के एक वरिष्ठ अधिकारी से मिली जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री ने डॉ. राज बहादुर से दूसरी बार संपर्क करके इस्तीफा वापस लेने को कहा है। साथ ही मुख्यमंत्री ने उन्हें भरोसा भी दिलाया है कि उनके सम्मान को ठेस नहीं पहुंचने दी जाएगी।
मान पूरे प्रकरण के लिए स्वास्थ्य मंत्री को जिम्मेदार मान रहे हैं और उनका साफ कहना है कि इस मामले में सही ढंग से हल किया जा सकता था। यही कारण है कि अपना पक्ष रखने पहुंचे स्वास्थ्य मंत्री को मान ने मिलने का समय तक नहीं दिया। उधर, आईएमए ने स्वास्थ्य मंत्री के इस्तीफे मांग को लेकर मान सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है।
आम आदमी पार्टी की पंजाब इकाई ने स्वास्थ्य मंत्री के पक्ष में डैमेज कंट्रोल के प्रयास किए। पार्टी ने कहा कि विवाद दुर्भाग्यपूर्ण है लेकिन आप सरकार सेहत सेवाओं के मामले में ढील बर्दाश्त नहीं करेगी। पार्टी और उसके कुछ मंत्रियों ने कहा कि जौड़ामाजरा का उद्देश्य सरकारी अस्पतालों में गरीबों के लिए बढ़िया सुविधाएं यकीनी बनाना है, इसके अलावा कुछ नहीं।
अब खरड़ की एसएमओ का इस्तीफा
इस बीच, स्वास्थ्य मंत्री जौड़ामाजरा के व्यवहार के चलते पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की भाभी डॉ. मनिंदर कौर ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। वह इस समय खरड़ सिविल अस्पताल में सीनियर मेडिकल आफिसर के पद पर तैनात थीं। दो दिन पहले ही जौड़ामाजरा ने खरड़ अस्पताल का दौरा किया था और उस दौरान खराब पंखे और गंदे वाशरूम देखकर एसएमओ को कड़ी फटकार लगाई थी। उन्होंने डॉ. मनिंदर कौर का तबादला बरनाला के धनौला इलाके में कर दिया था।
हालांकि डॉ. मनिंदर कौर ने अपने इस्तीफे में निजी कारणों का हवाला दिया है और स्वास्थ्य मंत्री के व्यवहार को लेकर कोई जिक्र नहीं किया है।