आवाज ए हिमाचल
16 दिसंबर: कृषि बिलों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसानों के पक्ष में उतरे जिला कांगड़ा के किसानों के खिलाफ जिला प्रशासन द्वारा केस दर्ज किए जाने पर हिमाचल किसान सभा जिला कांगड़ा तथा सीटू के नेताओं ने आपत्ति दर्ज करते हुए कहा कि वह तो शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे थे और कोरोना के दृष्टिगत सामाजिक दूरी का पालन करने के साथ सभी मास्क पहने हुए थे परंतु प्रशासन ने बिना वजह कोरोना की आड़ में इस प्रदर्शन में शामिल किसानों व मजदूरों के खिलाफ केस दर्ज किए हैं ।
जिला किसान सभा के अध्यक्ष सतपाल तथा महासचिव जगदीश जग्गी सीटू के जिला प्रधान केवल कुमार, सचिव रविंद्र कुमार, वित्त सचिव अशोक कटोच, उपाध्यक्ष प्रताप सिंह तथा जिला कमेटी सदस्य हेमराज ने जारी एक प्रेस बयान में इस कार्यवाही को सरकार के इशारे पर राजनीतिक बदले की कार्यवाई बताया है ।
इन्होंने कहा कि यह कार्यवाही दर्शाती है कि सरकार किसानों को मिल रहे अपार जनसमर्थन से डरी हुई है तथा कानून का डर दिखाकर सरकार बढ़ते जन आंदोलन को कुचलना चाहती है। उन्होंने कहा कि 14 दिसंबर को किए गए शांतिपूर्वक प्रदर्शन में भाग लेने वाले सभी लोगों ने मास्क पहने हुए थे, उचित सामाजिक दूरी रखी हुई थी तथा किसी भी तरह से कोविड-19 नियमावली का उल्लंघन नहीं किया था ।
इन्होंने जिला प्रशासन की कार्यवाही पर प्रश्न उठाते हुए कहा कि अभी हाल ही में प्रदेश के मुख्यमंत्री के कार्यक्रमों में बेशुमार भीड़ बिना मास्क और बिना सामाजिक दूरी का पालन किए हुए शामिल हुई जिसके वीडियो सोशल मीडिया पर भी देखने को मिले और अखबारों में भी यह समाचार छपे लेकिन तब प्रशासन को कहीं भी कोविड-19 का उल्लंघन नजर नहीं आया परन्तु जब किसानों और मजदूरों के विरोध में बनाए गए बिलों का विरोध करने लोग सड़कों पर उतरे तो उन्हें कोविड-19 के नियमावली का डर दिखाया जा रहा है ।
सीटू और किसान सभा के नेताओं ने कहा है कि सरकार चाहे जितने मर्जी केस बना ले, उन्हें जेलों में डाल दे लेकिन वह मजदूरों और किसानों के मनोबल को नहीं तोड़ पाएंगे । इन नेताओं ने कहा कि जनता ने तो सरकार के घोषित आपातकाल को हरा दिया था तो इस वर्तमान सरकार का अघोषित आपातकाल लोगों को क्या डरा पाएगा ।
प्रेस ब्यान में इन नेताओं ने फिर से मांग उठाई है कि इन तीनों कृषि कानूनों को निरस्त किया जाए ।