आवाज़ ए हिमाचल
21 जुलाई।द्रौपदी मुर्मू देश की नई राष्ट्रपति होंगी। गुरुवार को हुई वोटों की गिनती के तीसरे दौर में ही उन्होंने जीत के लिए जरूरी आंकड़े को पार कर लिया। 25 जुलाई को उनका शपथ ग्रहण होगा। इसके साथ ही देश को पहली आदिवासी और दूसरी महिला राष्ट्रपति मिल जाएगी। शपथ ग्रहण के साथ मुर्मू के नाम एक या दो नहीं बल्कि छह बड़े रिकॉर्ड दर्ज होंगे।
द्रौपदी का जन्म ओडिशा के मयूरगंज जिले के बैदपोसी गांव में 20 जून 1958 को हुआ था। द्रौपदी संथाल आदिवासी जातीय समूह से संबंध रखती हैं। उनके पिता का नाम बिरांची नारायण टुडू एक किसान थे। द्रौपदी के दो भाई हैं। भगत टुडू और सरैनी टुडू।
द्रौपदी की शादी श्यामाचरण मुर्मू से हुई। उनसे दो बेटे और दो बेटी हुई। साल 1984 में एक बेटी की मौत हो गई। द्रौपदी का बचपन बेहद अभावों और गरीबी में बीता था। लेकिन अपनी स्थिति को उन्होंने अपनी मेहनत के आड़े नहीं आने दिया। उन्होंने भुवनेश्वर के रमादेवी विमेंस कॉलेज से स्नातक तक की पढ़ाई पूरी की। बेटी को पढ़ाने के लिए द्रौपदी मुर्मू शिक्षक बन गईं।
उन्होंने 1979 से 1983 तक सिंचाई और बिजली विभाग में जूनियर असिस्टेंट के रूप में भी कार्य किया। इसके बाद 1994 से 1997 तक उन्होंने ऑनरेरी असिस्टेंट टीचर के रूप में कार्य किया था।1997 में उन्होंने पहली बार चुनाव लड़ा। ओडिशा के राइरांगपुर जिले में पार्षद चुनी गईं। इसके बाद वह जिला परिषद की उपाध्यक्ष भी चुनी गईं। वर्ष 2000 में विधानसभा चुनाव लड़ीं। राइरांगपुर विधानसभा से विधायक चुने जाने के बाद उन्हें बीजद और भाजपा गठबंधन वाली सरकार में स्वतंत्र प्रभार का राज्यमंत्री बनाया गया।
2002 में मुर्मू को ओडिशा सरकार में मत्स्य एवं पशुपालन विभाग का राज्यमंत्री बनाया गया। 2006 में उन्हें भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। 2009 में वह राइरांगपुर विधानसभा से दूसरी बार भाजपा के टिकट पर चुनाव जीतीं। इसके बाद 2009 में वह लोकसभा चुनाव भी लड़ीं, लेकिन जीत नहीं पाईं। 2015 में द्रौपदी को झारखंड का राज्यपाल बनाया गया। 2021 तक उन्होंने राज्यपाल के तौर पर अपनी सेवाएं दीं।
पहली आदिवासी राष्ट्रपति
यूं तो इसे दो रिकॉर्ड में जोड़ना चाहिए, लेकिन हम थोड़ा संक्षिप्त कर देते हैं। मुर्मू देश की पहली आदिवासी हैं जो राष्ट्रपति के पद तक पहुंची। आज तक कोई भी राष्ट्रपति आदिवासी समाज से नहीं बना है। यही नहीं, द्रौपदी महिला हैं। इसलिए पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति होने का रिकॉर्ड भी मुर्मू के नाम ही दर्ज होगा।
आजादी के बाद जन्म लेने वाली पहली राष्ट्रपति
आज तक बने सभी राष्ट्रपतियों का जन्म आजादी से पहले यानी 1947 से पहले हुआ था। द्रौपदी मुर्मू पहली राष्ट्रपति हैं, जिनका जन्म आजादी के बाद हुआ है। मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को हुआ है। मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का जन्म आजादी से दो साल पहले हुआ था। उनकी जन्म तिथि एक अक्टूबर 1945 है।
सबसे युवा राष्ट्रपति
64 साल की द्रौपदी मुर्मू देश की सबसे युवा राष्ट्रपति होंगी। मुर्मू से पहले ये रिकॉर्ड नीलम संजीव रेड्डी के नाम पर था। रेड्डी जब राष्ट्रपति बने तब उनकी उम्र 64 साल दो महीने थी। वहीं, मुर्मू जब शपथ लेंगी तब उनकी उम्र 64 साल एक महीने होगी।
दूसरी महिला राष्ट्रपति
द्रौपदी मुर्मू के नाम दूसरी महिला राष्ट्रपति होने का रिकॉर्ड भी दर्ज होगा। मुर्मू से पहले 2007 से 2012 तक प्रतिभा देवी सिंह पाटिल राष्ट्रपति रह चुकी हैं। प्रतिभा पाटिल देश की पहली महिला राष्ट्रपति थीं।
ओडिशा से पहली राष्ट्रपति
आज तक कोई भी राष्ट्रपति ओडिशा से नहीं बना था। द्रौपदी मुर्मू पहली राष्ट्रपति होंगी जो ओडिशा की रहने वाली हैं। इससे पहले वीवी गिरी ऐसे राष्ट्रपति थे जिनका ओडिशा से संबध था। गिरी का जन्म मद्रास प्रेसिडेंसी के बहरामपुर में हुआ था, जो अब ओडिशा में है। हालांकि, गिरी तेलुगु परिवार से संबंध रखते थे। उनकी कर्मभूमि आंध्र प्रदेश रही। यहीं से वो सांसद बनते रहे।
भाजपा की पृष्ठभूमि से आने वाली दूसरी राष्ट्रपति
मुर्मू दूसरी ऐसी राष्ट्रपति होंगी जो भारतीय जनता पार्टी की पृष्ठभूमि से आती हैं। मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भाजपा की पृष्ठभूमि से आने वाले पहले राष्ट्रपति थे, जिनकी पूरी राजनीति भाजपा से जुड़ी रही