मनोज शैल सर्वसम्मति से दूसरी बार बने संस्कृत शिक्षक परिषद के प्रदेशाध्यक्ष

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आवाज़ ए हिमाचल 

अभिषेक मिश्रा, बिलासपुर

11 जुलाई। हिमाचल राजकीय संस्कृत शिक्षक परिषद् का चुनाव राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कोठीपुरा में निर्वाचन अधिकारी डॉ. दुनी चन्द एवं डॉ.राजेन्द्र तथा पर्यवेक्षक डॉ.विजय कुमार एवं शिक्षा विभाग की तरफ से नियुक्त पर्यवेक्षक जीवन ज्योति शर्मा प्रधानाचार्य कोठीपुरा की अध्यक्षता में आयोजित किए गए।

डॉ. अमित शर्मा ने मंच संचालन करते हुए सभी जिला कार्यकारिणियों को अपना लेखा जोखा प्रस्तुत करने के लिए आग्रह किया जिसमें कांगड़ा से डॉ. अमन दीप शर्मा, हमीरपुर से डॉ. विपिन शर्मा, ऊना से डॉ. शिव गर्ग, बिलासपुर से भूपेन्द्र गौतम, शिमला से राजेश शर्मा, मण्डी से लोकपाल, कुल्लु से हेमलाल, सिरमौर से प्रशान्त शर्मा, किन्नौर से डॉ. जंगछुब नेगी, सोलन से राजकुमार इत्यादि ने अपने अपने जिला का विवरण प्रस्तुत किया।

डॉ.मनोज शैल ने पुरानी कार्यकारिणी को भंग करते हुए नए चुनाव की घोषणा की। इसी के साथ सभी जिला प्रतिनिधियों ने डॉ.मनोज शैल के कार्यकाल की प्रंशसा करते हुए उन्हें सर्वसम्मति से पुनः प्रदेशाध्यक्ष के पद को अलङ्कृत करने के लिए आग्रह किया, सभी संस्कृत शिक्षकों ने कोरोना काल में संस्कृत शिक्षक परिषद् के अद्वितीय कार्य की सराहना की, उन्होंने कहा कि परिषद् ने हर घर तक हर घर पाठशाला के माध्यम से संस्कृत का प्रचार प्रसार किया है। इस अवसर पर डॉ.अमित शर्मा को पुनः महासचिव एवं सोहन लाल शर्मा को पुनः वित्तसचिव चुना गया।

डॉ.मनोज शैल ने पुनः संस्कृत शिक्षक परिषद् की कमान सम्भालते हुए कहा कि परिषद् पुनः अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए नए जोश के साथ कार्य करेगी, तथा शास्त्री शिक्षकों के बनवास को समाप्त करने के लिए प्रयास करेगी, उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि जल्द से जल्द संस्कृत एवं हिन्दी शिक्षकों के टी.जी.टी. पदनाम की अधिसूचना की जाऐ जिससे सरकार की प्रतिबद्धता समाज में चरितार्थ हो सके, मनोज शैल ने कहा कि सरकार की टी.जी.टी पदनाम के सन्दर्भ में की गई घोषणा से समूचे प्रदेश में प्रसन्नता का वातावरण है, परन्तु अधिसूचना में देरी से धीरे धीरे संस्कृत शिक्षकों में नाराजगी बढ़ती जा रही है, जिसका सरकार को निराकरण करना चाहिए।

डॉ.मनोज शैल ने 813 भर्ती प्रक्रिया के अभ्यर्थियों के विषय में चर्चा करते हुए कहा कि सरकार को इनके विषय में गम्भीरता से सोचना चाहिए क्योंकि इन अभ्यर्थियों ने कमीशन पास करके कोई गुनाह नहीं किया जबकि बैचबाइज भर्ती वालों की नियुक्ति कई महीने पहले हो चुकी है।

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