आवाज़ ए हिमाचल
विनोद चड्ढा,बिलसपुर
13 दिसंबर।करूणामूलक नौकरियों को लेकर हिमाचल सरकार अभी तक कोई भी अंतिम फैसला नही ले पाई है, जिस से परेशान होकर करूणामूलक संघ ने पंचायत चुनाव का बहिष्कार करने का फैसला लिया।आज करुणामूलक संघ की बैठक उपाध्यक्ष अजय कुमार की अध्यक्षता गूगल मीट के माध्यम से हुई।इस बैठक में मीडिया प्रभारी रजनीश,राहुल,शेखर,रजत,अरविंद, अरुण, संजय, डिंपल , देवराज इत्यादि मौजूद रहे। इस बैठक में संघ के उपाध्यक्ष् अजय कुमार ने कहा कि सरकार करूणामूलक नौकरियों पर तीन साल से विचार ही करती आ रही है,जब भी हम सरकार के मंत्रियो व विधायकों से मिलते है,वे कहते है कि विचार चल रहा है।सरकार के इसी रूख के कारण अब करूणामूलक संघ आने वाले पंचायत चुनाव व उसके बाद विधानसभा के चुनाव का भी बहिष्कार करेंगे।करूणामूलक संघ के उपाध्यक्ष अजय कुमार ने कहा कि करूणामूलक आधार पर नौकरी देने के मामलों पर अभी सरकार कोई अंतिम फैसला नही ले पाई है,जबकि सरकार के पास विभिन्न विभागों , बोर्ड व निगमों में 4500 से ज्यादा मामले है।प्रभावित परिवार करीब 15 साल से नौकरी का इंतजार कर रहें है। उन्होने बताया कि कई विभागों , बोर्ड व निगमों में कर्मचारी की सेवा के दौरान मृत्यु होने के बाद आश्रित परिवार दर-दर की ठोकरे खाने को मजबुर है और हर रोज कार्यालयों के चक्कर लगा रहे है,लेकिन आश्वाशनों के सिवा आज दिन तक कुछ हाथ नही लगा है।करूणामुलक आश्रितों का कहना है कि उनके परिवार में कोई भी सरकारी नौकरी नही करता है।इनके परिवारों की आर्थिक स्थिती अच्छी नही है और इन परिवारों को रोजी रोटी व परिवार के लालन पालन के लाले पड़ गए है।सभी करूणामुलक आश्रितों ने हिमाचल सरकार से गुहार लगाई है कि इन मामलों को जल्द से जल्द करूणामुलक नौकरीयों पर उचित फैसला लें व पीड़ित परिवारों को करुणामूलक आधार पर नियुक्तियाँ प्रदान करे।
करुणामूलक संघ ने कहा है करुणामूलक आधार पर नौकरियों के लिए one time relaxation के तहत सभी पदों को एक साथ भरने की कृपा करें व करूणामूलक अाधार पर दी जाने वाली नौकरीयो से आय का दायरा हटाये जाने की मांग की और कहा गया कि पेंशन व अन्य भत्तों को सालाना इनकम में ना जोडा जाए। 5 प्रतिशत कोटे की शर्त को पूर्ण रूप से हटा दिया जाए ताकि विभिन्न विभाग अपने स्तर पर नौकरियां दे सकें तथा आश्रितों को शैक्षणिक योग्यता के अनुसार विभिन्न श्रणीयों में नौकरियां दी जाए।संघ ने कहा की अगर सरकार कोई जल्द फैसला नही लेती है तो आने वाले पंचायत चुनाव का बहिष्कार किया जाएगा।