दलाईलामा बोले- भारत की प्राचीन ज्ञान परंपरा फिर स्थापित करना 4 मुख्य प्रतिबद्धताओं में शामिल
आवाज़ ए हिमाचल
धर्मशाला, 20 मई। तमाम प्रयासों के बावजूद चीन सरकार तिब्बतियों का दिल जीतने और उनके दिमाग में बदलाव लाने में नाकाम रही है। वास्तव में चीन के लोगों की अपनी ही सोच लगातार बदल रही है। यह बात गुरुवार को बौद्ध धर्मगुरु दलाईलामा ने मैक्लोडगंज पहुंचीं तिब्बती मामलों को लेकर नियुक्त अमेरिका की विशेष संयोजक उजरा जेया के साथ मुलाकात में कही।
गौर हो कि गत दिन उजरा के नेतृत्व में अमेरिका का एक प्रतिनिधिमंडल तिब्बत मसले और मानवाधिकारों के उल्लंघन पर तिब्बती समुदाय से चर्चा करने 2 दिवसीय दौरे पर धर्मशाला पहुंचा है।
उजरा के साथ आए प्रतिनिधिमंडल में अमेरिकी दूतावास की प्रतिनिधि पेट्रीसिया ए लसीना भी शामिल हैं। उजरा ने गुरुवार सुबह दलाईलामा के साथ उनके मैक्लोडगंज स्थित आवास पर मुलाकात की। इस दौरान अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल के अन्य सदस्य, निर्वासित तिब्बत सरकार के प्रधानमंत्री पेंपा सेरिंग और सांसद भी मौजूद रहे। उजरा ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और समस्त अमेरिका के लोगों की ओर से दलाईलामा का अभिवादन किया। उजरा की ओर से तिब्बती मसलों और समूची मानवता के एकात्म भाव पर विशेष जोर देने के लिए दलाईलामा ने खुशी जताई।
बौद्ध धर्मगुरु दलाईलामा ने प्रतिनिधिमंडल को अपने जीवन की चार मुख्य प्रतिबद्धताओं सार्वभौमिक मूल्यों के संवर्द्धन, धार्मिक समन्वय को बढ़ावा, तिब्बत की संस्कृति व पर्यावरण के संरक्षण और भारत की प्राचीन ज्ञान परंपरा को फिर स्थापित करने के बारे में विस्तार से बताया। इस दौरान दलाईलामा और उजरा ने अमेरिका और भारत में स्वतंत्रता और लोकतंत्र की समृद्ध परंपरा पर भी चर्चा की।