आवाज़ ए हिमाचल
शिमला, 5 मई। शराब की बिक्री पर लगने वाले सेस से गोसदनों के लिए हिमाचल सरकार 12 करोड़ रुपए वार्षिक एकत्र करेगी। वहीं, गोशालाओं को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाने के लिए वार्षिक 7.5 करोड़ रुपए ग्रांट इन एड प्रदान की जा रही है। सूत्रों के अनुसार इसी वित्तीय वर्ष के अंत तक प्रदेश में सभी बेसहारा पशुओं के लिए आश्रय ढूंढ लिया जाएगा। जून तक 11.20 करोड़ रुपए की लागत से चंबा, कांगड़ा तथा बिलासपुर जिलों में आठ नए गोसदन संचालित किए जाएंगे।
इन गोसदनों मेंं लगभग 9000 कमजोर, वृद्ध तथा निराश्रय गोधन को आश्रय मिलेगा, जिससे अवारा पशुओं की समस्या के स्थायी समाधान को बल मिलेगा।
राज्य सरकार कांगड़ा जिला के खबल में 26734000 रुपए, कंगघिन में 187100 रुपए, मरहंू में 11700000 रुपए, कुदान में 29216600, नगरोटा बगवां में 3500000, चंबा जिला के मझीर में 16676426 तथा बिलासपुर जिला के गसोता में 5341800 रुपए की लागत से निर्माणाधीन गोशालाओं का कार्य जून तक पूरा कर लेगी।
राज्य में संचालित 197 गोशालाओं एवं आठ बड़े गाय अभयारण्यों के माध्यम से 20252 बेसहारा पशुधन को सुरक्षित आश्रय प्रदान किया गया है। वहीं, इस समय सड़कों पर 10253 लावारिस पशुधन को निर्माणाधीन गोशालाओं तथा संचालित गोशालाओं की क्षमता को बढ़ाकर आश्रय प्रदान किया जाएगा। हिमाचल प्रदेश गो सेवा आयोग ने धार्मिक प्रवृत्ति के नागरिकों तथा बहुराष्ट्रीय कंपनियों, कॉरपोरेट घरानों से दान इक_ा करने के लिए अपनी वेबसाइट के माध्यम से अभियान शुरू किया है।
पशुपालन मंत्री वीरेंद्र कंवर के अनुसार राज्य में इस समय 31 मार्च तक कुल 220 गोसदन हैं। इनमें 197 कार्यान्वित हैं। राज्य में नए बड़े गोसदनों के निर्माण तथा पुराने गोसदनों की क्षमता बढ़ाने पर अभी तक 31 करोड़ 41 लाख रुपए की धनराशि खर्च की जा चुकी है।