बिलासपुर: सुई सुरहाड़ में काले गेहूं की सफल खेती, जानें इसके फायदे

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 हार्ट, कैंसर, मोटापा, डायबीटीज, दिल जैसी कई बीमारियों के लिए रामबाण है काली गेहूं

आवाज़ ए हिमाचल 

अभिषेक मिश्रा, बिलासपुर।

25 अप्रैल। जुखाला के किसान ने स्वास्थ्य की दृष्टि से महत्वपूर्ण मानी जाने वाली गुणकारी काले गेहूं की सफल खेती कर नया मुकाम हासिल किया है। गेहूं की इस किस्म में अपने कई स्वास्थ्य लाभों के कारण किसानों के लिए आय उत्पन्न करने की अपार संभावनाएं हैं।

कहलूर बायोसाइंसेज एंड रिसर्च सेंटर उभरते खाद्य उद्यमियों के सहयोग से मूल्य वर्धित उत्पादों को विकसित करने और उन्हें बाजार में लाने के लिए काम कर रहा है। सुई सुराहड के प्रगतिशील किसान अशोक कुमार जो प्राकृतिक खेती कर रहे हैं, उन्होंने भी इस गेहूं को अपने खेतो में बोया और इसकी सफलतापूर्वक खेती की। अब अशोक ठाकुर क्षेत्र के अन्य लोगों को भी इस खेती के लिए प्रेरित कर रहे है।

वैज्ञानिक डा. अमित कुमार ठाकुर ने बताया कि सामान्य गेहूं में एंथोसाइनिन की मात्रा 5 से 15 पीपीएम होती है,जबकि काले गेहूं में इसकी मात्रा 40 से 140 पीपीएम पायी जाती है। यह शरीर से फ्री रेडिकल्स निकालकर हार्ट, कैंसर मोटापा, डायबीटीज और दिल से जुड़ी बीमारियों में बचाव करता है। काले गेहूं के कई फायदे है। उन्होंने बताया कि काले गेहूं में एन्थोसाइनीन पिगमेंट की मात्रा ज्यादा होती है। इसकी वजह से यह इसके कारण यह काला दिखाई देता है। सफेद गेंहू में एंथोसाइनिन की मात्रा 5 से 15 पीपीएम होती है, जबकि काले गेहूं में इसकी मात्रा 40 से 140 पीपीएम होती है।

काले गेंहू में एंथ्रोसाइनीन (एक नेचुरल एंटी ऑक्सीडेंट व एंटीबायोटिक) काफी मात्रा में पाया जाता है , जो हार्ट अटैक, कैंसर, डायबिटीज, मानसिक तनाव, घुटनों का दर्द, एनीमिया जैसे रोगों में काफी कारगर होता है। काले गेहूं में कई पौष्टिक तत्व पाए जाते हैं जिस कारण काले गेहू की कीमत काफी अधिक है। इसमें आयरन की मात्रा भी काफी अधिक है।

अमित कुमार ने बताया कि काली गेहू एंथोसाइनिन ब्लू बेरी जैसे फलों की तरह सेहत लाभ प्रदान करता है और इसका बाजार में मूल्य काफी अधिक है जिससे जहां इसकी खेती से किसानो की आय बढ़ेगी वहीँ इसके सेवन से कई गंभीर बीमारियों और उनके खतरों से भी राहत मिलेगी। इसके सेवन से लोग इन जानलेवा बीमारियों से बचेंगे।

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