आवाज़ ए हिमाचल
अभिषेक मिश्रा, बिलासपुर।
18 अप्रैल। प्रदेश में चल रही आर्मी कँटीनो में बहुत सी अनियमतायें बरती जाती हैं। आर्मी कैंटीनों में मिनले वाला सामान फौजियों को कम और उनके परिचितों को ज्यादा दिया जाता है।
यह बात जिला कांग्रेस सेवादल के महामंत्री संदीप सांख्यान ने कहते हुए बताया कि बिलासपुर जिला से सम्बंध रखने वाली एक शहीद की पत्नी के साथ ऐसा हो रहा है। आज से करीब 30 वर्ष पहले इस वीर नारी के पति शहीद हुए थे, तब से लेकर वह अपनी रोजमर्रा की वस्तुओं की खरीदने जब भी आर्मी कैंटीन में गई कभी भी उनको पूरा सामान नहीं मिल पाया।
उन्होंने बताया कि एक तो दूर-दराज से सेवानिवृत्त फौजी या उनके परिजन आर्मी कैंटीन आते है ऊपर से सामान न मिलना बड़े दुर्भाग्य की बात है। ऐसे में इस सामान के असली हकदारों को बड़ी निराशा होती है। संदीप संख्यांन ने सरकार और आर्मी कैंटीन के प्रबंधन से अनुरोध किया है कि इस मसले पर गौर किया जाए। आर्मी से सम्बंधित परिवार ही इस सामान के असली हकदार है उनको सामान दिया जाए। इस समस्या से निपटने के लिए बायो मीट्रिक या फिर ओ. टी. पी व्यवस्था का सहारा लिया जाना चाहिए।
सांख्यान ने बताया कि पहले ही जीएसटी की दरों में हुई वृद्धि से आम आदमी के साथ ही सैनिकों को भी जद में ले लिया है। अब सेना की कैंटीन से सामान खरीदने पर उन्हें भी 2.5 से 14 फीसदी तक जीएसटी देना होता है। इससे पहले कैंटीन में चार से सात फीसदी टैक्स वसूला जा रहा था। जीएसटी लागू होने के बाद बोर्नविटा, बादाम-पिस्ता, बिस्किट, तेल आदि की कीमतें कम हुई तो साबुन, सर्फ, शैंपू, जूस, घी मसाले पहले ही महंगे हो गए हैं लेकिन अब बढ़ती हुई महंगाई ने भी आर्मी से संबंधित परिवारों की कमर तोड़ दी है। जबकि कुल जी. एस. टी. का 50 प्रतिशत ही आर्मी कैंटीन पर लागू किया है, लेकिन वर्तमान में बढ़ती महंगाई ने और समान की ठीक से और ठीक परिवारों को वितरित नहीं किया जाना कई बड़े सवाल खड़े करता है। ऊपर से सीएसडी कैंटीन में आने वाले सामान पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क में कोई छूट नहीं मिलती है। सरकार ने पिछले वर्षों से सैनिकों को मिलने वाले रियायती सामान में भी कटौती की है। तो ऐसे में सरकार को देखना चाहिए कि सी.एस.डी. कैंटीन का सामान केवल पात्र व्यक्तियों को ही मिले और समय पर मिले।