संपत्ति को बांटने वाला भाई नहीं, भाई वे जो विपत्ति को बांटे: स्वामी हरिचेतनानंद 

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आवाज़ ए हिमाचल 

शांति गौतम, बीबीएन।

 9 अप्रैल। स्वयं प्रकट दुर्गा माता मंदिर मितिया में रामकथा के 8वें दिन महामंडलेश्वर स्वामी हरि चेतनानंद ने कहा जिस साधक ने जीवन में परमात्मा को पकड़ लिया वही सुखी है। भरत जी के सामने राज्य का प्रस्ताव आया तो भरत जी कहते हैं मुझे राज्य नहीं राम चाहिए। मुझे राज्य देकर मेरे मन की जलन को शांत करना चाहते हैं तो यह आपका भ्रम है। मेरे हृदय की जलन राज्य पाकर शांत नहीं होगी, जलन तब शांत होगी जब मुझे रघुनाथ का दर्शन होगा। भरत जी ने सुंदर उदाहरण प्रस्तुत किया। भाई आपस में संपत्ति बांटते हैं। संपत्ति को बांटने वाला भाई नहीं है भाई वह है जो भाई के ऊपर आई हुई विपत्ति को बांटता है। भरत जी प्रजा को लेकर चित्रकूट की ओर चल पड़ते हैं। भगवान राम ने जो तपस्या वन में रहकर की, भरत जी ने वही तप नंदीग्राम में रहकर किया।

स्वामी ने सीता हरण शबरी एवं आश्रम में पहुंच कर नवधा भक्ति का सजीव चित्रण किया । उन्होंने कहा किभगवान भाव के भूखे हैं। शबरी के आश्रम में जाकर प्रभु ने बेर खाए। भगवान किसी को निराश नहीं करते। संसार से आशा मत करो राम जी आपको कभी निराश नहीं करेंगे। आज रविवार को रामनवमी उत्सव दुर्गा माता मंदिर में प्रातः 10बजे से 12 बजे तक मनाया जाएगा तथा कथा की पूर्णाहुति होगी।

मंदिर कमेटी द्वारा स्वामी जी के करकमलों से जिन लोगों को सम्मानित किया गया उनमे दभोटा पंचायत के प्रधान करणवीर सिंह, ज्ञान चंद, जीत सिंह, रामप्रकाश चंदेल, हरिराम धीमान, कुंजबिहारी, राजकुमार, निशा राम, गंगा राम आदि शामिल है।

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