अंडर-19 आयु वर्ग के लिए आयु सत्यापन कार्यक्रम से संबंधित एक मामले में सख्त कदम उठाने के निर्देश
आवाज़ ए हिमाचल
शिमला, 8 अप्रैल। हिमाचल प्रदेश के उच्च न्यायालय ने अंडर-19 आयु वर्ग के लिए आयु सत्यापन कार्यक्रम से संबंधित एक मामले में, भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) को एक ऐसे तंत्र को तैयार करने का निर्देश दिया है, जिसके तहत जाली जन्म प्रमाण पत्र के उत्पादन के कथित खतरे से खिलाड़ियों को रोका जा सकता है, जो कि याचिकाकर्ता के अनुसार काफी समय से प्रचलित है। कोर्ट ने बीसीसीआई को 6 महीने के भीतर इस तरह का फैसला लेने का निर्देश दिया है।
उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने यह आदेश सुरेश कुमार द्वारा अपने पिता डोले राम के माध्यम से वर्ष 2019 में (उस समय के नाबालिग) दायर एक याचिका पर पारित किया।
याचिकाकर्ता ने दिनांक 22 जुलाई 2015 के पत्राचार व बीसीसीआई आयु सत्यापन कार्यक्रम 2015-16 को भी चुनौती दी थी। इसके तहत सरकार द्वारा जारी जन्म प्रमाण पत्र के अनुसार आयु निर्धारण के उद्देेश्य से अंडर-19 आयु वर्ग की पात्रता के लिए स्कूल और अस्पताल के रिकॉर्ड सबूत व सहायक के रूप में पेश किए गए हैं।
याचिकाकर्ता ने प्रतिवादियों को पत्राचार जारी करने से पहले पालन किए जा रहे बीसीसीआई प्रोटोकॉल पर वापस जाने का निर्देश देने का अनुरोध किया था। याचिकाकर्ता ने प्रार्थना की थी कि प्रतिवादियों को विज्ञापन के रूप में अंडर 16, अंडर 19 और अंडर 23 खेलने के लिए पात्रता की कट ऑफ डेट हर साल एक सितंबर के बजाय एक अप्रैल के रूप में तय करने के लिए निर्देशित किया जा सकता है। एक अप्रैल से 31 अगस्त तक जन्म लेने वाले खिलाडि़यों को आयु वर्ग श्रेणी टूर्नामेंट के तहत खेलने के लिए अयोग्य बनाता है और केवल एक सितंबर से 31 मार्च तक पैदा हुए खिलाड़ी ही पात्र होते हैं।
याचिकाकर्ता के अनुसार कट ऑफ डेट के इस मनमाने ढंग से निर्धारण ने उसकी पात्रता अवधि को बारह महीने के बजाय केवल सात महीने कर दिया है। याचिकाकर्ता ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा था कि उम्र के निर्धारण और कट ऑफ डेट के निर्धारण के लिए प्रतिवादियों द्वारा अपनाई गई विधि भ्रष्टाचार को जन्म दे रही है। बड़े पैमाने पर जाली जन्म प्रमाण पत्र तैयार करने और प्रस्तुत करने को प्रवृत्ति को बढ़ावा दे रही है। इस स्थिति पर भी कई अंतरराष्ट्रीय खिलाडि़यों ने ध्यान दिया है और स्वीकार किया है। प्रतिवादी बीसीसीआई की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता को बीसीसीआई से संपर्क करना चाहिए। उम्र के निर्धारण के तरीके के साथ-साथ कट ऑफ डेट और निर्णय बीसीसीआई लेगा। अदालत ने बीसीसीआई को निर्देश दिया कि वह याचिका के संलग्नों के साथ याचिकाकर्ता के रूप में प्रतिवेदन को माने।