आवाज़ ए हिमाचल
ऊना, 4 अप्रैल। जीएसटी में 7 फीसदी बढ़ोतरी के बाद प्रति ईंट पर एक रुपये की बढ़ोतरी हो गई है। जिला ऊना में अब प्रति हजार ईंट के आठ हजार रुपये चुकाने होंगे। इस तरह प्रति ईंट अब आठ रुपये मौके पर मिलेगी। ट्रांसपोर्टेशन और ढुलाई अलग रहेगी।
पहली अप्रैल से ईंट के लिए जीएसटी 5 से बढ़कर 12 प्रतिशत हो गया है। ऐसे में ईंट भट्ठा संचालकों ने भी रेट में इजाफा कर दिया है। ईंट के निर्माण के लिए जरूरी कोयले और अन्य सामान के बढ़ने के साथ अब जीएसटी की मार पड़ी है।
इसका सीधा असर आशियाना बनाने का सपना देख रहे लोगों पर पड़ेगा। दो माह में करीब 15 सौ रुपये प्रति हजार ईंट के दाम बढ़े हैं। ईंट के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। भट्ठा संचालकों की मानें तो हर चीज महंगी हो रही है। जीएसटी भी बढ़ा है। ऐसे में स्वाभाविक है कि दाम भी बढ़ेंगे। घर का निर्माण कर रहे स्थानीय सुशील कुमार, कुलवंत सिंह, महेश कुमार तथा देशराज का कहना है कि अभी दो माह पहले 6500 रुपये प्रति हजार ईंट ले गए थे। अब आठ रुपये चुकाने पड़े हैं। अंबा भट्ठा मालिक रविंद्र गुप्ता ने बताया कि पहले 15 हजार रुपये प्रति टन आने वाला अमेरिकी कोयला का रेट बढ़कर 25 हजार रुपये प्रति टन हो गया है।
अब जीएसटी में भी बढ़ोतरी हुई है। यही वजह है कि दाम बढ़े हैं। क्षेत्र के अन्य भट्ठा मालिक रविंद्र गुप्ता, पंकज कुमार, अश्विनी कुमार ,सोमदत्त चौधरी और अन्य ने कहा कि सरकार को बढ़ा हुआ जीएसटी वापस लेना चाहिए। जिला ऊना भट्ठा एसोसिएशन के प्रधान पीएल भारद्वाज का कहना है कि ऊना जिले में कुल 100 भट्ठे हैं। इनमें 60 भट्टे ही चल रहे हैं। हजारों की संख्या में मजदूर कार्य कर रोजी-रोटी कमाते हैं। बढ़े हुए जीएसटी के साथ सीजीसीआर 65 रुपये प्रति हजार ईट को वापस लिया जाना चाहिए।
गौर रहे कि सीमेंट बोरी का दाम वर्तमान में 425 पहुंच गया है। सरिया के दाम भी 75 सौ प्रति क्विंटल हो गया है। ट्रांसपोर्टेशन और ढुलाई के बाद घर में मालिक को प्रति ईंट दस से 12 रुपये तक पड़ेगी। ऐसे में गरीब का अपना आशियाना बनाने का सपना पूरा होना कठिन होता जा रहा है।