आवाज़ ए हिमाचल
शिमला, 29 मार्च। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकारी खजाने से मंत्रियों और विधायकों के आयकर भुगतान को असांविधानिक घोषित करने के लिए दायर याचिका पर राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाबतलब किया है। मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने यशपाल राणा और अन्य की ओर से दायर याचिका पर यह आदेश पारित किया।
याचिकाकर्ताओं के अनुसार विधानसभा सदस्यों को भत्ते और पेंशन अधिनियम 1971 के तहत दी गई छूट असांविधानिक है। इसके तहत विधानसभा सदस्यों और मंत्रियों को उनकी ओर से अर्जित आय पर विभिन्न भत्तों और लाभों के साथ आयकर का भुगतान करने की छूट है। मंत्रियों के वेतन और भत्ते हिमाचल प्रदेश अधिनियम 2000 के कुछ प्रावधान भी असांविधानिक हैं, जिसके आधार पर मंत्रियों को उनकी ओर से अर्जित आमदनी पर आयकर का भुगतान करने की छूट दी गई है।
याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार इन अधिनियमों में प्रावधानों को शामिल करने की तिथि से विधायकों और मंत्रियों के आयकर का भुगतान कर रही है। याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट से प्रार्थना की है कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा सदस्यों के भत्ते और पेंशन अधिनियम 1971 की धारा 6एए को असांविधानिक ठहराते हुए रद्द किया जाए।
इसके तहत विधानसभा सदस्य को देय वेतन और प्रतिपूरक, निर्वाचन क्षेत्र, डाक सुविधाएं, टेलीफोन भत्ते, अन्य अनुलाभों पर देय आयकर का भुगतान राज्य सरकार की ओर से करने का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा हिमाचल प्रदेश अधिनियम 2000 की धारा 12 के तहत एक मंत्री को देय वेतन और भत्ते और उसे स्वीकार्य सुसज्जित घर और अन्य लाभों पर आयकर की अदायगी राज्य सरकार कर रही है। याचिकाकर्ताओं ने इसे भी असांविधानिक घोषित करने की मांग की है।