कम्युनिस्ट पार्टी व अन्य वामपंथी पार्टियों ने भी किया किसानों के भारत बंद का समर्थन

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आवाज़ ए हिमाचल

    ब्यूरो,शिमला

06 दिसंबर।भारत की कम्युनिस्ट पार्टी(मार्क्सवादी) व अन्य वामपंथी पार्टियों ने केंद्र की मोदी सरकार द्वारा पारित कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर देश के किसानों के द्वारा चलाए जा रहे आंदोलन का समर्थन किया है।पार्टियों ने मांग की है कि सरकार इन किसान विरोधी कृषि कानूनों व बिजली विधेयक,2020 को तुरन्त वापस ले।

उन्होंने किसान संघर्ष समिति व अन्य संगठनों के द्वारा 8 दिसम्बर के भारत बंद के आह्वान का समर्थन करते हुए समस्त मजदूर व अन्य वर्गों जिसमें व्यापारी, कारोबारी, दुकानदार, उद्योग धंधे से जुड़े ट्रांसपोर्ट व अन्य सभी से आग्रह किया है कि देश की कृषि व खाद्य सुरक्षा को बर्बाद करने वाले मोदी सरकार कर इन कानूनों को निरस्त करने के लिए इस भारत बंद में भगीदारी कर इसको सफल बनाए।


वर्ष 2014 से जबसे केंद्र में बीजेपी के नेतृत्व में एनडीए की मोदी सरकार आई हैं तब से देश में नवउदारवादी नितियों को और तेजी से लागू किया जा रहा है। देश के संसाधनों जिसमें जल, जंगल, जमीन व सार्वजनिक क्षेत्र जिनमें रेल, बैंक, बीमा, हवाई अड्डे, बिजली, तेल कंपनियां, रक्षा व कोयला क्षेत्र आदि को कॉरपोरेट घरानों व बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के हवाले करने का काम और तेजी से किया जा रहा है। इससे सरकार केवल चहेते पूंजीपतियों जिनमें अदानी अम्बानी मुख्यतःहै को लाभ पहुंचा रही है और देश में पूंजीपतियों को फायदा देने के लिए श्रम कानूनों में बदलाव कर मजदूरों का शोषण को बढ़ावा दे रही है।

इन नीतियों के कारण देश मे व्यापक बेरोजगारी फैल रही है और देश की अर्थव्यवस्था चौपट होने की कगार पर ला दी है।
सरकार किसान के शांतिपूर्ण आंदोलन को कुचलने के लिए हर प्रकार के ओछे हथकंडे अपना रही है और आरएसएस व बीजेपी द्वारा संचालित आईटी सेल व अन्य माध्यमों के द्वारा किसानों को खालिस्तानी व आतंकवादी साबित करने का कार्य किया जा रहा है। आम जन से अपील की जाती है कि आरएसएस व बीजेपी की इस प्रकार की घिनौनी हरकतों का पर्दाफाश करें और देश मे खेत, खेती व खाद्य सुरक्षा के लिए किसानों के इस शांतिपूर्ण आंदोलन का सहयोग करें तथा 8 दिसम्बर के भारत बंद में भागीदारी कर इसे सफल बनाए और केंद्र सरकार को इन देश के आमजन व किसान विरोधी कृषि कानूनों व बिजली विधेयक, 2020 को निरस्त करने के लिए बाध्य करें।

 

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