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मंडी, 25 मार्च। हिमाचल प्रदेश के जिला मंडी के सरकाघाट की नेहा ठाकुर ने बेकार मैटीरियल जैसे कागज, बारीक रेत, नारियल के छिलके और सीमेंट से ईको फ्रेंडली ईंटें तैयार की हैं। ये ईंटे पर्यावरण के लिए तो फायदेमंद हैं ही, साथ में आम लोगों के लिए भी फायदेमंद हैं। क्योंकि यह बाजार में मिलने वाली ईंटों से सस्ती हैं। एक ईंट मात्र छह रुपये में उपलब्ध होगी, जबकि दूसरी एक ईंट 10 से 12 रुपये में मिलती है।
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प्राकृतिक रेशों से तैयार ये ईंटें मकान की दीवारों, सुरंगों और फुटपाथ की चिनाई में लगाई जा सकेंगी। ईको फ्रेंडली एक ईंट का भार तीन किलोग्राम होगा, जबकि दूसरी ईंट का वजन चार किलो तक होता है। आमतौर पर दूसरी ईंटों में पानी को सोखने की क्षमता बहुत अधिक होती है लेकिन ईको फ्रेंडली ईंट में बहुत कम पानी सोखने की क्षमता है। इससे पानी का भी संरक्षण होगा।
चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में मास्टर ऑफ इंजीनियरिंग करने के बाद नेहा एक इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रोफेसर हैं। उन्होंने बताया कि इन ईंटों को तैयार करने का मकसद नारियल फाइबर के साथ रेत को आंशिक रूप से बदलकर को फाई ब्रिक्स बनाना और पर्यावरण के अनुसार ईंटों को विकसित कर बेकार कागज का उपयोग करना है। वह हमेशा सोचती थीं कि देश में बेस्ट की समस्या सबसे अधिक है और इसे कैसे कम किया जाए। सभी शोधकर्ताओं ने इसे कम करने के लिए कई शोध किए, मगर किसी ने ईंट नहीं बनाई।
नेहा के अनुसार कम जल अवशोषित करने वाली ईंटों में बाहरी मौसम की स्थिति के लिए अच्छी प्रतिरोधक क्षमता होती है। एक नियम के अनुसार पानी सोखने की क्षमता ईंट के भार के अनुसार 20 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए। ईंटों को धूप में तीन दिन तक सुखाया जाता है। फिर वजन का परीक्षण होता है। इसके बाद इस ईंट का वजन 3.16 किलोग्राम होगा। नेहा ने इस ईंट पर पेटेंट भी फाइल किया है।