बिलासपुर: जिला अस्पताल में तैनात एकमात्र सर्जन का भी तबादला, प्रदेश सरकार समाधान निकालने में असफल: संदीप सांख्यान

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आवाज़ ए हिमाचल 

 

 अभिषेक मिश्रा, बिलासपुर।

24 मार्च। बिलासपुर के रिजनल अस्पताल की हालत यह हो गए है कि 5 डॉक्टर एकदम से एसआर शिप के लिए जा रहे हैं, जबकि एक डॉक्टर का तबादला लौहल कर दिया गया है। पिछले 11 महीनों से यहां पर मेडिसिन विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं है। यह मसला कई बार उठाया जा चुका है और प्रदेश सरकार इतनी निठल्ली है कि कोई भी समाधान निकालने के लिए असफल रही है। यह कहना है जिला कांग्रेस सेवादल के महामंत्री संदीप सांख्यान का।

उन्होंने कहा कि क्या प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य मंत्री व स्वास्थ्य सचिव को जिला बिलासपुर अस्पताल से कोई पुरानी खुन्नस है, जहाँ पर डॉक्टरों की नियुक्तियां नहीं की जा रही है। प्रदेश सरकार को समझना चाहिए कि जिला बिलासपुर से दो- दो स्वास्थ्य मंत्री रहे हैं और आज जिला बिलासपुर के रिजनल अस्पताल में डॉक्टरों का टोटा पड़ गया है। जिला अस्पताल के चिकित्सकों को यदि एस आर शिप के लिए जाना था तो उनकी जगह कोई वैकल्पिक व्यवस्था समय रहते सरकार को करनी चाहिए थी। जबकि सरकार वैकल्पिक व्यवस्था करने में असमर्थ पाई गई है। इस मसले पर जिला से एक कबीना मंत्री के साथ दो विधायक, एक मुख्यमंत्री जी के ओएसडी और एक मुख्यमंत्री जी राजनैतिक सलाहकार जिम्मेदार है। पिछले 11 महीनों से एक मेडिसिन विशेषज्ञ चिकित्सक तक नहीं है और जिला में ब्लड प्रेशर और शुगर के काफी रोगी है और उनको मैडिसन विशेषज्ञ की बहुत आवश्यकता रहती है।

उन्होंने कहा कि सदर विधानसभा क्षेत्र के अधीन आने वाले रीज़नल अस्पताल की हालात एक रेफरल अस्पताल से ज्यादा कुछ नहीं है, जबकि दावा 270 बेड से 300 बेड अस्पताल बनाने का किया जा रहा है। मुख्यमंत्री के राजनैतिक सलाहकार की कर्मभूमि भी बिलासपुर सदर विधानसभा क्षेत्र ही गिनी जाने लगी है जिम्मेदारी तो उनकी भी उतनी ही बनती जितनी सदर विधानसभा क्षेत्र के विधायक के साथ मंत्री जी की बनती है। यदि अब भी भाजपा सरकार के नेता रिजनल अस्पताल बिलासपुर में मेडिसिन विशेषज्ञ डॉक्टर को लाने में असफल रहे हैं तो उनको इस्तीफ़ा दे देना चाहिए ताकि जिला अस्पताल में डॉक्टरों की कमी के कारण होने वाली अकस्मात मृत्यु का दोष न लग सके।

उन्होंने कहा कि अब तो मेडिकल सुपरिटेंडेंट जिला रिजलन अस्पताल बोल पड़े की डॉक्टरों की कमी है। प्रदेश सरकार खुद ही आंकड़े उठा के देखने चाहिए कि डॉक्टरों की कमी के कारण कितने लोंगो को बाहरी अस्पतालों में रेफर किया गया है और कितने लोंगो की जाने गई हैं और ऊपर से रेफर किये गए मरीज के तीमारदारों का बाहरी अस्पतालों में जो इस महंगाई के जमाने मे खर्चे का बोझ बढ़ता है उसके लिए भी प्रदेश सरकार ही जिम्मेदार है।

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