पद्यश्री सम्मान लेकर वापिस लौटे प्रसिद्व साहित्यकार एवं कलाकार विद्यानंद सरैक ने साझा किए अनुभव

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आवाज़ ए हिमाचल

जीडी शर्मा, राजगढ़

22 मार्च। राजगढ़ विकास खंड की उप तहसील पझौता के देवठी मझगांव निवासी प्रसिद्ध साहित्यकार व लोक कलाकार विद्यानन्द सरैक राष्ट्रपति के हाथों पद्यश्री अवार्ड लेने के बाद वापस देवठी मंझगांव लोट आए और अपने अनुभव मिडिया से साझा किये। पद्मश्री सम्मान, साहित्य के क्षेत्र में विद्यानन्द सरैक को यह सम्मान राष्ट्रपति भवन में देश के राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किया गया।

सरैक ने कहा कि सरकार ने उनके ठहरने का का प्रबंध होटल अशोका में किया था। विद्यानन्द सरैक वर्ष 2018 में राष्ट्रपति सम्मान राष्ट्रपति के हाथों ले चुके हैं। इस बार उनके दो पुत्र रमेश सरैक व जगमोहन सरैक, दो पोते दीपक सरैक व ईशान सरैक तथा रिश्तेदार विक्रम गन्धर्व इस सम्मान के साक्षी बनने के लिए उनके साथ दिल्ली गए थे। अशोका होटल में पहुंचने पर उन सहित पद्मश्री सम्मान प्राप्त करने वाले लोगों का स्वागत किया गया।

विद्यानन्द सरैक ने बताया कि साँय चार बजे सम्मान समारोह प्रारम्भ हुआ और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों सभी को सम्मान दिए गये । देश के गृहमंत्री अमितशाह पद्मश्री व अन्य सम्मान लेने वाले लोगों के साथ रात्रि भोज में शामिल हुये। उन्होंने प्रदेश व केंद्र सरकारों का आभार जताते हुए कहा कि एक निर्धन परिवार में जन्में उन जैसे व्यक्ति को देश का यह उच्च सम्मान मिलना उनके लिए किसी आश्चर्य से कम नहीं है और वह इस सम्मान को अपनी समृद्ध लोक संस्कृति को समर्पित करते हैं, जिसके लिए वह बचपन से ही लगे थे और उनकी इस सेवा को प्रदेश व देश की सरकारों ने पहचाना उसके लिए वह उनका हृदय से आभार व्यक्त करते हैं।

विदित रहे कि विद्यानन्द सरैक ने पहाड़ी भाषा में अनेकों पुस्तकें लिखी है। उन्होंने गीता व भर्तहरि त्रिशतक का भी सिरमौरी भाषा में अनुवाद किया है। उन्होंने चूड़ेश्वर लोक सांस्कृतिक दल के साथ मिलकर लुप्त होते जा रहे सिरमौरी सिंहटू व भडालटू नृत्य का मंचीय प्रदर्शन देश व विदेशों में करने में अहम भूमिका निभाई है। वह 82 वर्ष की आयु में भी सिरमौर की प्रमुख गिरिनदी के आसपास की सांस्कृतिक व धार्मिक प्राचीन संस्कृति को ‘गिरिनदी का सफर खड़ा पत्थर से डाक पत्थर, सांस्कृतिक परिवेश’ पुस्तक में जुटाने में लगे है। जबकि चाणक्य नीति का पहाड़ी भाषा में अनुवाद का कार्य कर रहे है।

विद्यानन्द सरैक ने जिला सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र के हाटी समुदाय की पारम्परिक वेशभूषा लुईया पहनकर पद्मश्री सम्मान लिया। वह काले रंग का लुईया व हरे रंग की हिमाचली टोपी पहनकर सम्मान लेने गये । उन्होंने बताया कि उन्होंने पिछली बार राष्ट्रपति अवार्ड में भी लुईया व टोपी पहनी थी, उस समय उन्होंने लाल रंग का लुईया पहना था, जबकि इस बार वह काले रंग का लुईया पहना ।
प्रसिद्ध साहित्यकार व लोक कलाकार, पद्मश्री विद्यानन्द सरैक ने गृहमंत्री अमितशाह को हिमाचली टोपी व मफलर पहनाकर उनका सम्मान किया। दिल्ली में सम्मान प्राप्त करने वालों के लिए रात्रिभोज के समय विद्यानन्द सरैक ने गृहमंत्री से सिरमौर जिला के गिरिपार क्षेत्र के हाटी समुदाय को जनजाति का दर्जा दिए जाने की बात भी कही। जिस पर गृहमंत्री अमितशाह ने कहा कि उन्हें मालूम है और वह इसे पूरा करेंगे। विद्यानन्द सरैक ने बताया कि गृहमंत्री ने उनकी बात को ध्यान से सुना और इसकी जानकारी उन्हें पहले से होने की बात कही। इस दौरान उनके पुत्र रमेश सरैक भी उनके साथ थे।

 

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