शाहपुर की शिवालिका की यूक्रेन से सकुशल घर वापसी, बोली- भूखे-प्यासे घंटों मौत के साये में चलना पड़ा पैदल

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आवाज़ ए हिमाचल 

बबलू सूर्यवंशी, शाहपुर

7 मार्च। यूक्रेन में फंसी शाहपुर की शिवालिका सोमवार को अपने घर सकुशल वापस पहुंच गई है। शिवालिका की घर वापसी से परिजनों में खुशी का माहौल है।

आज सुबह दिल्ली से कांगड़ा पहुंची शिवालिका को उसके परिजनों ने कांगड़ा बस स्टैंड से पहले सीधे घर पहुंचाया, जहां उसके गांव के लोग और परिजन स्वागत के लिये इंतजार कर रहे थे। शिवालिका को एक माह के बाद घर के आंगन में सकुशल पाकर उनकी आंखों से आंसू भी छलक आये और उन्होंने अपनी बेटी का भव्य स्वागत किया।

जानकारी के अनुसार शिवालिका 7 फरवरी 2022 को शाहपुर स्थित अपने घर से यूक्रेन गई थी लेकिन वहां युद्ध के हालात में वह वहां फंस गई थी। एक तरफ  शिवालिका पुरे एक माह बाद (7 मार्च 2022) को अपने घर सकुशल वापस पहुंच गई है, वहीं दूसरी ओर यूक्रेन की मशहूर खार्कीव मेडिकल यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस की पढ़ाई करने भारत से यूक्रेन गये कई छात्र आज भी जिंदगी और मौत के बीच में जद्दोजहद करते हुये स्वदेश वापसी के लिये लगातार भारत सरकार और अपने राज्य की सरकारों से अपील कर रहे हैं।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक हिमाचल प्रदेश के अभी तक 150 के करीब छात्र यूक्रेन में अपने स्वदेश और हिमाचल आने के लिये संघर्ष कर रहे हैं।

सकुशल घर वापसी के बाद शिवालिका ने बताया कि जो हालात उन्होंने यूक्रेन में देखे हैं उनके बारे में सोच कर सिहरन पैदा हो जाती है, कई दिनों तक भूखे-प्यासे घंटों मौत के साये में पैदल चलना पड़ा, वहां के स्थानीय लोगों के बीच में बतौर विदेशी उनकी मुखालफत और खिलाफत का शिकार होते हुए जैसे-तैसे पौलेंड बोर्डर पर पहुंचे और फिर कहीं जाकर उन्हें जिंदगी नसीब हुई।

शिवालिका ने बताया कि आज भी सैकड़ों छात्र वहां इन्हीं हालातों में फंसे हुये हैं जिन्हें स्वदेश पहुंचाना बेहद ज़रूरी है अन्यथा वहां उन्हें वहां के स्थानीय लोगों की खिलाफत का सामना करना पड़ रहा है, हालात बहुत बदत्तर हैं, फिर भी गनीमत है कि वह और उसके कुछ साथी अपने घर सकुशल पहुंच गए हैं। शिवालिका ने इसके लिये प्रदेश और भारत सरकार के साथ-साथ स्थानीय प्रशासन का भी आभार जताया है।

 

शिवालिका की मां बोलीं-  बेटी की वापसी की खुशी के साथ उसके भविष्य की भी चिंता

वहीं, शिवालिका की माता बृजला शर्मा ने बताया कि बेटी के सुनहरे भविष्य की कामना करके ही उन्होंने उसे विदेश भेजा था जिसके लिये लाखों रुपये खर्च कर दिये, मगर उन्हें क्या मालूम था कि इस तरह के हालात हो जाएंगे, इसलिये बेटी की वापसी की उन्हें खुशी तो है मगर साथ ही उसके भविष्य को लेकर अभी से चिंता होने लगी है, जिसके लिये वो फिर से भारत और हिमाचल सरकार से धन्यवाद के साथ अपील करती हैं कि यूक्रेन में जितने भी छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है उनका भारत में कुछ हल निकाला जाए।

 

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