आवाज़ ए हिमाचल
ऊना, 22 फरवरी। हिमाचल प्रदेश को इलेक्ट्रिक वाहनों का हब बनाया जाएगा। साल 2025 तक सभी श्रेणियों के इलेक्ट्रिक वाहनों का उत्पादन प्रदेश में किया जाएगा। इसके लिए सरकार ने हिमाचल प्रदेश इलेक्ट्रिक पॉलिसी-2022 को अधिसूचित कर दिया है। सरकार ने 2025 तक 15 फीसदी इलेक्ट्रिक वाहन पंजीकृत करने का लक्ष्य रखा है।
इलेक्ट्रिक वाहन पॉलिसी पांच साल तक लागू होगी। सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद पर सड़क टोकन टैक्स में छूट देगी। हाईवे पर भी राज्य और बाहरी प्रदेशों के इलेक्ट्रिक वाहनों से टोल टैक्स नहीं लिया जाएगा। वाणिज्यिक परमिट फीस में केंद्रीय भूतल परिवहन एवं उच्च मार्ग मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार छूट दी जाएगी।
शिमला, मंडी, बद्दी और धर्मशाला को इलेक्ट्रिक वाहन टाउन बनाने का प्रस्ताव है। राज्य में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट तैयार की जाएंगी। इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग बढ़ने से ज्यादा उद्योग खोले जाएंगे। इससे रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
राष्ट्रीय और राज्यमार्गों पर 25 किलोमीटर के दायरे में इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशन बनाए जाएंगे। बिजली बोर्ड इन्हें पावर सप्लाई देगा। सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए प्रति किलोवाट के हिसाब से सब्सिडी तय करेगी। ईंधन से चलने वाले पुराने वाहनों को भी इलेक्ट्रिक वाहनों में बदला जाएगा। इसके लिए प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। परिवहन मंत्री बिक्रम ठाकुर ने कहा कि नई नीति में राजकोषीय और गैर राजकोषीय प्रोत्साहनों के प्रावधान के माध्यम से इलेक्ट्रिक व्हीकल की मांग को बढ़ावा दिया जाएगा। नई इलेक्ट्रिक व्हीकल नीति के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए अलग सचिवालय तैयार होगा।
नई इलेक्ट्रिक वाहन नीति के तहत सरकार एक इलेक्ट्रिक वाहन पार्क तैयार करेगी। यह 100-200 एकड़ में बनाया जाएगा। इलेक्ट्रिक वाहनों का सरकारी उपयोग के साथ टैक्सी के रूप में भी उपयोग किया जाएगा। शहरों, राष्ट्रीय राजमार्गों तथा राज्य राजमार्गों पर एक्सटेंशन बैटरी के लिए फास्ट चार्जिंग स्टेशन के साथ स्वैपिंग स्टेशन भी बनाए जाएंगे।
वाहनों को बिजली से चार्ज करने का आधारभूत ढांचा तैयार करने के लिए बिजली बोर्ड को नोडल एजेंसी बनाया गया है। एक वर्ग किलोमीटर के ग्रिड में कम से कम एक चार्जिंग स्टेशन बनाया जाएगा।