आवाज़ ए हिमाचल
शिमला, 17 फरवरी। वाइब्रेंट विलेजिज प्रोग्राम के तहत चीन सीमा से सटे उत्तरी भारत के करीब 100 गांवों में लोगों को बेहतर चिकित्सा सुविधा और बच्चों को उच्च शिक्षा देने के लिए आधुनिक स्कूल खुलेंगे। सीमा के साथ लगते जिलों और इन गांवों में सड़कें चकाचक होंगी, जबकि बिजली और पानी की भी कोई किल्लत नहीं होगी। उत्तरी भारत के चीन सीमा से सटे क्षेत्रों को इसलिए विकसित किया जाएगा, ताकि यहां के लोग पलायन न करें। पर्यटन की दृष्टि से इन गांवों को विकसित किया जाएगा। इससे युवाओं को घर-द्वार ही रोजगार के अवसर मिलेंगे। रामसुभग सिंह ने बताया कि गुरुवार को बॉर्डर मैनेजमेंट सेक्रेटरी के साथ इस मामले में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की जाएगी।
वहीं हिमाचल प्रदेश में चीन सीमा से सटे लाहौल-स्पीति के समदो, सरचू और किन्नौर के छितकुल और साथ लगते क्षेत्रों में 6 पुलिस चेक पोस्टें स्थापित होंगी। प्रदेश के मुख्य सचिव रामसुभग सिंह ने कहा है कि केंद्र सरकार से इसको लेकर वार्तालाप जारी है। उधर, हिमाचल प्रदेश में चीन की ओर से कोई घुसपैठ न हो, इसको लेकर राज्य पुलिस सीमावर्ती क्षेत्रों में चेक पोस्टें स्थापित करना चाहती है। डीजीपी संजय कुंडू ने चेक पोस्टों का मामला प्रदेश सरकार और राज्यपाल से भी उठाया है। उन्हें इस मामले की विस्तृत जानकारी दी गई है।
गौर रहे कि हिमाचल प्रदेश के किन्नौर और लाहौल-स्पीति जिले के कुछ क्षेत्र चीन की सीमा के साथ लगते हैं। इन क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाएं न मिलने और आधारभूत ढांचा विकसित न होने से यहां के लोग शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं। बर्फबारी के दौरान ये गांव कई दिनों तक जिला मुख्यालयों से कटे रहते हैं।
शिक्षा और चिकित्सा सुविधा के लिए भी लोगों को शहरों में आना पड़ रहा है। इन सभी दिक्कतों को ध्यान में रखते हुए केंद्र और राज्य सरकारें चीन से लगते हिमाचल समेत उत्तरी भारत के 100 गांवों का आधारभूत ढांचा विकसित करना चाहती हैं।