आवाज़ ए हिमाचल
राजगढ़, 16 फरवरी। सिरमौर रियासत की गलत राजस्व नीति के विरूद्ध सन 1942 में छेड़े गये पझौता आंदोलन पर एक शार्ट डाक्यूमेंटरी फिल्म बनाई जा रही है। यह डाक्यूमेंटरी फिल्म मूलतः पझौता आंदोलन के मुख्य सूत्रधार स्वर्गीय वैद्य सूरत सिंह की पुस्तक ‘‘पझौता आंदोलन’’ पर आधारित है। इस डाक्यूमेंटरी फिल्म को बनाने का मुख्य उददेश्य, वर्तमान युवा पीढ़ी को देश की आजादी की लड़ाई में पझौता आंदोलन की भूमिका के बारे में जानकारी देना है।
यह डाक्यूमेंटरी फिल्म नाहन के राजेन्द्र आनंद राज और राकेश नंदन द्वारा बनाई जा रही है।
आनंद राज इससे पहले भी करीब 12 डाक्यूमेंटरी फिल्में बना चुके हैं, जिसमें नाहन के ऐतिहासिक धरोहर स्थलों पर आधारित एक डाक्यूमेंटरी फिल्म भी शामिल है। इसमें नाहन के सभी धरोहर स्थलों की ऐतिहासिक जानकारियों को बहुत ही खूबसूरती के साथ प्रदर्शित किया गया है। आनंद राज के अनुसार अगले एक माह के भीतर हमने इस डाक्यूंमेंटरी फिल्म को पझौता आंदोलनकारियों को समर्पित करने का लक्ष्य रखा है। पझौता के अधिकतर आंदोलनकारियों के घर-घर पहुंचकर, उनके परिजनों से वार्ता कर डाक्यूमेंटरी फिल्म की शूटिंग का कार्य काफी हद तक पूर्ण कर लिया गया है और अंतिम चरण की शूटिंग अभी की जानी है।
आनंद राज ने कहा कि इस डाक्यूमेंटरी फिल्म को बनाने की प्रेरणा पझौता आंदोलन के मुख्य सूत्रधार व पझोता स्वंतत्रता सैनानी कल्याण समिति के अध्यक्ष स्वर्गीय वैद्य सूरत सिंह के बेटे जय प्रकाश चौहान से उन्हें मिली है। इस डाक्यूमेंटरी फिल्म में सिरमौर की जिला भाषा अधिकारी कीर्तिका नेगी, शिक्षाविद एवं लेखक शेर जंग कनैत आदि का मार्गदर्शन मिला है। फिल्म डाक्यूमेंटरी प्रोडक्शन टीम में नाहन के राकेश नंदन, सोलन के मशहूर सिनेमाटोग्राफर- कैमरामैन सुरेन्द्र भटटी, सिरमौरी संस्कृति के जानकार प्रदीप ममगई और अन्य सदस्य शामिल हैं।
आंनद राज कहते हैं कि हमने पझौता आंदोलन के प्रमुख आंदोलनकारियों के परिजनों और क्षेत्र के प्रमुख लोगों से भेंट कर एक अच्छी डाक्यूमेंटरी फिल्म बनाने का एक प्रयास किया है जिसे शीघ्र ही पझौता आंदोलन के सिपाहियों को समर्पित किया जाएगा।
क्या है पझौता आंदोलन?
हिमाचल के इतिहास में आजादी से पहले का पझौता आंदोलन विशेष स्थान रखता है। दरअसल 11 जून 1943 को महाराजा सिरमौर राजेंद्र प्रकाश की सेना ने पझौता आंदोलन के दौरान निहत्थे लोगों पर राजगढ़ के सरोट टीले से 1700 राउंड गोलियां चलाईं थी। इसमें कमना राम गोली लगने से मौके पर ही शहीद हुए थे, जबकि तुलसी राम, जाति राम, कमालचंद, हेत राम, सही राम, चेत सिंह घायल हो गए थे।
सिरमौर जिले की राजगढ़ तहसील का उत्तरी-पूर्व भाग पझौता घाटी के नाम से जाना जाता है। वैद्य सूरत सिंह के नेतृत्व में इस क्षेत्र के जांबाज एवं वीर सपूतों ने सन् 1943 में अपने अधिकार के लिए महाराजा सिरमौर के खिलाफ आंदोलन करके रियासती सरकार के दांत खट्टे कर दिए थे। इस दौरान महात्मा गांधी ने सन् 1942 में देश में भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया था, जिसके कारण इस आंदोलन को देश के स्वतंत्र होने के बाद भारत छोड़ो आंदोलन की ही एक कड़ी माना गया था।