सहेजी जाएंगी हिमालय की विलुप्त हो रही जड़ी बूटियां

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वादी-ए-भूलाह में राज्य का पहला जैव विविधता पार्क तैयार

आवाज़ ए हिमाचल 

शिमला, 16 फरवरी। जिला मंडी की जंजैहली घाटी में स्थित भूलाह में हिमालय की दुलर्भ जड़ी बूटियों को संरक्षण होगा। एक करोड़ की लागत से तैयार इस पार्क से देश-विदेश के शोधकर्ताओं, पर्यटकों और विलुप्त हो रही बूटियों को संरक्षण मिलेगा। यह प्रदेश का पहला बायोडायवर्सिटी पार्क (जैव विविधता उद्यान) है। इसे हिमाचल प्रदेश वन विभाग की ओर से नेशनल मिशन आन हिमालयन स्टडीज (एनएमएचएस) प्रोजेक्ट के तहत बनाया गया है।

पार्क को पयर्टन गतिविधियों से जोडऩे के साथ शोधकर्ताओं के लिए हिमालय में पाई जाने वाली विभिन्न औषधीय जड़ी-बूटियों (हर्बल प्लांट्स) पर शोध करने के नए मौके देने के लिए भी तैयार किया है।

पार्क में प्रदर्शन के लिए पहाड़ों में विलुप्त हो रही जड़ी-बूटियों की हर्बल नर्सरी तैयार की है। इसमें नाग छतरी, धूप, कडू, सर्पगंधा, चिरायता, टैक्स, बर्बरी, चैरा, पठानबेल, पत्थर चटा, भूतकेसी, न्यार, मुश्कवाला, वण, अजवायण, कूठ व वर्रे, संसरपाली, डोरी घास, रतन जोत, अतीश पतीश, वन ककड़ी, शिंगली मिगली, जगली लहसुन, डुंगतली इत्यादि जड़ी बूटियां प्रदर्शित की हैं। यहां उस जड़ी बूटी पर भी खोज कार्य किया जा सकेगा, जिनकी अभी तक कोई पहचान नहीं हो पाई है। नर्सरी में विभिन्न प्रजातियों के 1200 पौधे उपलब्ध हैं।

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