आवाज़ ए हिमाचल
गोपाल, राजगढ़
11 फरवरी। किसान अपने खेत में जी जान से मेहनत करता है, उसे उम्मीद होती है कि एक दिन उसकी यह मेहनत रंग लाएगी और उसके द्वारा बिजी गई फसल मंडियों में अच्छे दाम में बिकेगी, लेकिन यहां अपनी पैदावार का अच्छा दाम मिलना तो दूर की बात, किसान ने जो फसल उगाने के लिए खर्चा किया था वह भी नहीं पूरा हो पाया।
जिला सिरमौर के किसानों को पिछले 2 सालों से अदरक की फसल ने काफी निराश किया है, हालांकि उनके खेतों में अदरक की पैदावार तो बहुत अच्छी हुई है, मगर मंडियों में उनको इसे उचित दाम नहीं मिल पा रहा है। खेतों से उन्होंने अपनी फसल को तो निकाल दिया है मगर मंडी में इसको नहीं भेज पा रहे हैं।
इन किसानों ने इस अदरक की फसल का बीज 150 रुपए के भाव से खरीदा था और अब अदरक के दाम उन्हें 15 से 20 रुपए प्रति किलो मिल रहे हैं। अच्छे दाम मिलने की उम्मीद में किसानों ने सीजन के समय अदरक का भंडारण कर लिया था ताकि बीज के सीजन में उन्हें इसके अच्छे दाम मिल सकें मगर अब अदरक का वजन भी सूख कर कम हो गया है, जो किसान की चिंता को और बढ़ा रहा है।
अदरक उत्पादन के लिए मशहूर सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र के किसान इस बार इस प्रमुख नगदी फसल के वाजिब दाम न मिलने से मायूस हैं। जिला के कृषि विकास खंड संगड़ाह, शिलाई, पच्छाद व राजगढ़ के काफी हिस्सों में आज भी अदरक किसान परिवारों की आय का मुख्य साधन है। पिछले 4 दशक में अदरक बार-बार सड़न रोग की चपेट में आने से भी किसानों को काफी नुक्सान हुआ और इस साल दाम न के बराबर होने से किसानों की कमर टूट चुकी है।
गौरतलब है कि सिरमौर में करीब 1800 हैक्टेयर भूमि पर अदरक उत्पादन होता है। कोरोना काल के बाद पिछले 2 वर्षों से अदरक के दामों में भारी गिरावट देखी जा रही है। क्षेत्र के प्रगतिशील किसानों का कहना है कि इस वर्ष हालांकि फसल अच्छी हुई है मगर दाम न के बराबर है।
किसानों का कहना है कि इतने कम दामों में तो मेहनताना, मजदूरी व भाड़ा भी पूरा नहीं हो रहा है और दवाइयों खाद, गोबर, बीज का खर्च जेब से भरना पड़ रहा है। हर साल आम तौर पर जनवरी, फरवरी व मार्च माह में अदरक के दाम 40 से 50 रुपए किलो तक पहुंच जाते हैं , क्युकि इन दिनो लोग इसे बीज के लिए बेचते थे इसलिए किसान फसल का भंडारण 20 फुट तक गहरे भूमिगत खाची स्टोर में करते हैं जहां यह फसल 4 से 5 माह तक सुरक्षित रह सकती है। मगर इस बार बीज के सीजन में भी अदरक के दाम आशा के अनुरुप नहीं बढ़ पा रहे हैं। अदरक के स्थानीय खरीदारो का कहना है कि इस बार बैंगलोर के अदरक की मांग ज्यादा होना सिरमौर में इस फसल का पर्याप्त उत्पादन कीमत कम होने का मुख्य कारण समझा जा रहा है।