राजगढ क्षेत्र के एक छात्र व एक छात्रा का MBBS के लिए चयन

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आवाज ए हिमाचल

जीडी शर्मा,राजगढ़

03 फरवरी।राजगढ़ उपमंडल के दो स्टूडेंट्स का चयन एमबीबीएस के लिए हुआ है,यानि ये दोनों छात्र डाक्टर बनेंगे।राजगढ़ के ग्राम पंचायत सैर जगास के पटाडिया गांव के राहुल तोमर व कोटी पधोग पंचायत के कुफर गांव की पल्लवी मेहता का चयन एमबीबीएस के लिए हुआ है। सरकारी स्कूल से शिक्षा ग्रहण करने वाले दोनों स्टूडेंट्स ने नीट परीक्षा पास कर राजगढ़ क्षेत्र का नाम रोशन किया है।

इसमे से राहुल तोमर प्रसिद्ध नेत्र रोग विशेषज्ञ व पीजीआई में निदेशक के पद से सेवानिवृत्त पदम श्री डॉ जगत राम के भतीजे है और उनके पिता किसान है।राहुल तोमर ने बताया कि विरासत को आगे बढ़ाने का निर्णय उन्होंने दसवी कक्षा में ही ले लिया था, जब भी वह अपने ताया डॉ जगत राम को लोगो की सेवा करते देखते थे तो उसी वक्त मन में ठान लिया था किया वे आगे चल कर डाक्टर बनकर लोगों की सेवा करेंगे और अंत में सफल भी हो गए।

राहुल तोमर का चयन मेडिकल कॉलेज नाहन के लिए हुआ है। राहुल तोमर ने राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला पबियाना से दसवीं की पढ़ाई करने के बाद जमा दो की शिक्षा राजगढ़ से ग्रहण की और अब उनका चयन एमबीबीएस के लिए होने से डॉक्टर जगत राम के परिवार से अगली पीढ़ी भी चिकित्सा के क्षेत्र में मानव सेवा में एक सक्रिय योगदान देगी।वही राजगढ़ की कोटी पधोग पंचायत के ग्राम कुफर की पल्लवी मेहता भी चिकित्सक बनकर क्षेत्र का नाम रोशन करेगी।पल्लवी ने भी अपनी शिक्षा राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय राजगढ़ से ग्रहण की है। पल्लवी ने दसवी कक्षा मे 92 प्रतिशत तथा बारहवी कक्षा 94 प्रतिशत अंक हासिल किये है।पल्लवी स्वतन्त्रता सेनानी तुलसीराम की पड़पोती है। पल्लवी के दादा निहाल सिह मेहता शिक्षा विभाग में खंड प्राथमिक शिक्षा अधिकारी के पद से सेवा निवृत है।

उनके पिता नरेंद्र मेहता किसान व् माता शकुंतला मेहता गृहणी है। पल्लवी ने दो वर्ष कोचिंग ली और तीसरे पर्याद में नीट की परीक्षा उतीर्ण की।उन्होंने कहा जो बच्चे नीट की तैयारी कर रहे है , वे मेहनत के साथ सयंम भी रखे और हतोत्साहित न हो। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष थोड़ी सी कमी रह गई थी, लेकिन मेहनत और सयंम के साथ उन्होंने इस वर्ष यह परीक्षा उतीर्ण की। पल्लवी ने कहा कि यह सफलता उनके लक्ष्य की और पहला कदम है। उन्होंने इस सफलता में योगदान देने वाले सभी का आभार प्रकट किया।

सरकारी स्कूल में पड़े दोनों बच्चो की सफलता से यह सिद्द हो गया कि यदि सही दिशा में मेहनत की जाए तो स्कूल मायने नही रखता और कोइ भी लक्ष्य प्राप्त कर सकता है।

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