आवाज़ ए हिमाचल
23 जनवरी।नए संशोधित वेतनमान पर असमंजस और कर्मचारियों के एक वर्ग में असंतोष की स्थिति पैदा होने के बाद रविवार को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने अवकाश के दिन भी उच्च स्तरीय बैठक बुलाई। इसमें पांच प्रमुख कर्मचारी संगठनों के नेताओं को बुलाया गया। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में मुख्य सचिव राम सुभग सिंह, अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त प्रबोध सक्सेना और प्रधान सचिव मुख्यमंत्री जेसी शर्मा विशेष रूप से मौजूद रहे। मुख्यमंत्री के सरकारी निवास ओकओवर में हुई बैठक में जयराम ठाकुर ने पूछा कि नया संशोधित वेतनमान लागू होने पर कर्मचारियों की क्या-क्या समस्याएं हैं।
इस अवसर पर हिमाचल प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष अश्वनी ठाकुर और अन्य नेताओं ने उन्हें बताया कि प्रदेश में कर्मचारियों को नया वेतनमान निर्धारित करने के लिए दो विकल्प 2.25 और 2.59 दिए गए हैं। कई कर्मचारी पंजाब की तर्ज पर तीसरे विकल्प की मांग कर रहे हैं। यह तीसरा विकल्प 15 फीसदी वेतन वृद्धि का है। कर्मचारी नेताओं ने मांग उठाई कि प्रदेश में 4-9-14 और अन्य टाइम स्केल को दोबारा से बहाल किया जाए।
कर्मचारियों ने नियुक्ति के तुरंत बाद ही हायर पे स्केल का लाभ देने का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में कर्मचारियों को 28 फीसदी डीए संशोधित वेतनमान के तहत दिया जा रहा है। इसे 31 फीसदी दिया जाना चाहिए, जैसा कि केंद्र में दिया जा चुका है। यानी तीन फीसदी डीए बहाल किया जाना चाहिए। अनुबंध कर्मचारी नियमित होते हैं तो उन्हें आगामी दो साल तक प्रारंभिक वेतन मिलता है।
इसके लिए दो साल के राइडर को खत्म करने की भी मांग की। बैठक में हिमाचल प्रदेश शिक्षक महासंघ के प्रांत महामंत्री मामराज पुंडीर, स्कूल प्रवक्ता संघ के प्रधान केसर सिंह, प्राइमरी टीचर्स फेडरेशन के प्रधान हेमराज और एचजीटीयू अध्यक्ष नरेश महाजन ने भी विभिन्न मामले उठाए।
फिर उठे एसएमसी और कंप्यूटर शिक्षकों के मसले
हिमाचल प्रदेश शिक्षक महासंघ के प्रांत महामंत्री मामराज पुंडीर ने भी इन मांगों का समर्थन किया। उन्होंने एसएमसी शिक्षकों की समस्या का स्थायी समाधान निकालने और उनके मानदेय में वृद्धि करने का मामला उठाया। कंप्यूटर शिक्षकों का मानदेय बढ़ाने का भी मुद्दा उठाया।
सार्थक रही मुख्यमंत्री के साथ कर्मचारियों की बैठक : पुंडीर
शिक्षक महासंघ के महामंत्री डॉ. मामराज पुंडीर ने बताया कि जिस प्रकार पहले के वेतनमान में भी कई विसंगतियां रही हैं, उसी प्रकार नए वेतनमान में भी कुछ विसंगतियां और कुछ एक समस्याएं रह गई थीं। इन्हें प्रदेश शिक्षक महासंघ ने मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव के समक्ष उठाया था। कहा कि सरकार ने प्रदेश के लाखों कर्मचारियों की समस्याओं पर अपना पक्ष रखने का रविवार को फिर अवसर दिया है।
बैठक में प्रदेश अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ प्राइमरी टीचर फेडरेशन और प्रवक्ता संघ सहित हिमाचल प्रदेश गवर्नमेंट टीचर यूनियन के पदाधिकारियों ने भाग लिया। शिक्षक महासंघ के प्रांत मीडिया प्रमुख शशि शर्मा ने कहा कि बैठक सौहार्दपूर्ण वातावरण में हुई। भारी बर्फबारी और खराब मौसम के बावजूद मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव सहित वित्त विभाग के सभी प्रमुख अधिकारियों ने बैठक में भाग लिया।
महासंघ के प्रांत महामंत्री डॉ. मामराज पुंडीर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश शिक्षक महासंघ के माध्यम से दो वर्ष के राइडर की जो शर्त कर्मचारियों पर थोपी गई थी और जिस वजह से आज बहुत बड़ा नुकसान प्रदेश के कर्मचारियों को हो रहा था, उस राइडर की शर्त को हटाने की दिशा में सार्थक बातचीत हुई है। जल्द इस संबंध में अच्छे परिणाम आएंगे।
पंजाब पे कमीशन ने 15 फीसदी का एक अन्य विकल्प पंजाब के कर्मचारियों को दिया था जो कि हिमाचल प्रदेश के कर्मचारियों को तीन जनवरी की अधिसूचना में उपलब्ध नहीं था। यह विकल्प भी जल्द खुल सकता है। महंगाई भत्ते की विसंगति कर्मचारियों को 28 और अधिकारियों को 31 फीसदी दिया गया, उस बारे में भी कर्मचारियों में निराशा का भाव था, लेकिन बहुत जल्द ये समस्याएं दूर होने वाली हैं।
संशोधित वेतनमान को लेकर अड़ा 25 संगठनों का महासंघ
हिमाचल प्रदेश के सरकारी विभागों के 25 कर्मचारी संगठनों का संयुक्त महासंघ संशोधित वेतनमान को लेकर सरकार के सामने अड़ गया है। महासंघ नेताओं ने कहा कि सरकार ने पंजाब की तर्ज पर संशोधित वेतनमान देने में आनाकानी की तो मुलाजिम सड़कों पर उतरकर विरोध करेंगे। सरकार ने संशोधित वेतनमान के लिए प्रदेश के कर्मचारियों के समक्ष दो विकल्प दिए हैं।
इनमें एक विकल्प चुनकर सरकार को देना है। उसी आधार पर सरकार संशोधित वेतनमान देगी। महासंघ नेता कह रहे हैं कि पंजाब की तर्ज पर प्रदेश के कर्मचारियों को भी तीन विकल्प देकर एक विकल्प चुनने को दिया जाए। सरकार ने अभी इस मांग पर कोई गौर नहीं किया है। महासंघ नेताओं ने दो टूक कहा है कि सरकार की दबाव की राजनीति सहन नहीं की जाएगी।
महासंघ के मुख्य सलाहकार विनोद कुमार कहते हैं कि नए वेतनमान के लिए सरकार ने कर्मचारियों से एक माह के भीतर विकल्प देने को कहा है। यह अवधि तीन फरवरी को पूरी हो रही है। उनका कहना है कि सरकार दबाव बनाकर कर्मचारियों पर अपनी बात थोपना चाहती है, जबकि कर्मचारी अपना हक मांग रहे हैं। पंजाब की तर्ज पर संशोधित वेतनमान के लिए कह रहे हैं। सरकार ने अगर दबाव बनाने की कोशिश की तो यह महासंघ सहन नहीं करेगा।