जीवन में शिक्षा के महत्त्व को देखते हुए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से सरकार नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लाई है। सरकार द्वारा नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत देश की जी.डी.पी का 6 प्रतिशत शिक्षा पर खर्च किया जाएगा। नई शिक्षा नीति बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए सार्थक सिद्ध होगी। गर्ग ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति से बच्चों को सांस्कारिक शिक्षा के साथ-साथ बेरोजगारी और अन्य ज्वलंत सामाजिक समस्याओं से निजात पाने में बल मिलेगा। उन्होंने कहा कि छात्र/छात्राओं को प्रारम्भिक समय से ही व्यावसायिक शिक्षा का ज्ञानवर्धन होना चाहिए जिससे वे शिक्षा पूर्ण करने के बाद अपनी आजीविका कमाने में सक्षम बन सके। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति को अमलीजामा पहनाने के लिए अनेक शिक्षाविदों का योगदान है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति गुणवत्तायुक्त होगी जो ज्ञान आधारित समाज का निर्माण करेगी। यह नीति 21वीं सदी की आकांक्षाओं और लक्ष्यों को पूरा करेगी तथा भारत को विश्व गुरु बनाने का मार्ग प्रशस्त करेगी।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में देशभर के शिक्षाविदों, बुद्धिजीवियों के सुझावों का समावेश है जो समाज को एक नई दिशा प्रदान करेगी। उन्होंने कहा कि वर्ष 1986 के बाद 34 साल के बाद नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू की गई है। इसके लिए हजारों सेमिनार का आयोजन कर नई शिक्षा नीति को लागू किया जाएगा। नई शिक्षा नीति को रोजगार से जोड़ा गया है जिससे छात्रों को क्षमता और योग्यता सम्वर्धन के साथ-साथ रोजगार के अवसर भी प्रदान होंगे। इस मौके पर प्रधानचार्य राम कृष्ण ने मुख्यातिथि का स्वागत किया। इस अवसर पर डॉ. कुलभूषण चन्देल तथा कार्यक्रम के संयोजक डॉ. नितीम चन्देल ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बारे में जानकारी दी। कार्यक्रम में मंडल महामंत्री राजेश शर्मा, प्रोफेसर सुरेश शर्मा सहित अन्य लोग भी उपस्थित रहे।