आवाज ए हिमाचल
शांति गौतम,बीबीएन
17 दिसंबर।बददी की दवा कंपनी ने अपने कामगारों को कोर्ट के आदेश आने के बावजूद भी कंपनी में अंदर लेने से मना कर दिया है। कंपनी कामगारों को बिना काम किए सैलरी दे रही है। लेकिन कंपनी में काम करने के लिए इन कामगारों को मना किया जा रहा है।
बता दे कि तहसील बददी के तहत नंदपुर पंचायत में स्थित दवा ककंपनी के कामगारों ने अपनी मांगों को लेकर कंपनी में एक यूनियन बनाने को फैसला लिया था। वर्करों ने इसके लिए आवेदन 12 जुलाई को किया था। लेकिन इससे पहले की कंपनी में यूनियन को स्थापित किया जाता है। उससे पहले अपने वर्करों को कंपनी ने डेरा बस्सी स्थित दूसरे प्लांट में ट्रांसफर कर दिया। लेकिन जब वर्करों ने अपने ट्रांसफर लैटर लेने से मना कर दिया । इसके बाद कंपनी पर वर्करो ने कोट में केस कर दिया जिसका 9 दिसंबर को कोर्ट से आंदेश दिया गया है। कंपनी अपने सारे वर्करों को वापिस काम पर रख ले , लेकिन कंपनी ने कोर्ट के आदेश मानने से इनकार कर दिया। कंपनी हर महीने इन वर्करों को बिना काम किए सैलरी तो दे रही है लेकिन वर्करों को कंपनी में मानने से इंकार कर रही है।
कंपनी के वर्कर रवि कुमार, अक्षय कुमार, अनील कुमार, महिंद्र सिंह, राजेश कुमार, मोहन कृष्ण, तारा चंद का कहना है कि उन्हें कंपनी में काम करते 4 साल का समय हो गया है। लेकिन कंपनी में मूलभूत सुविधा न देने के कारण कंपनी में यूनियन को बनाने का गठन किया जा रहा था। उन्होंने बताया कि कंपनी द्वारा करोना काल के समय में भी वर्करों से 12 घंटे काम करवाने के बावजूद भी ओवर टाईम नहीं दिया जा रहा था। इसके अलावा कंपनी में कोई भी कैंटिन की व्यवस्था नहीं है। जिस कारण वर्करों को दिक्क्तों का सामना करना पड़ता है । उन्होंने बताया कि अपनी मांगो को लेकर ही कंपनी में यूनियन को बनाने की व्यवस्था की जा रही थी लेकिन कंपनी ने यूनियन बनाने वर्करों को ही कंपनी से बाहर निकाल दिया है। इसके साथ ही जब वह कंपनी की बात को न मान कर कंपनी कें बाहर धरने पर बैठे तो कंपनी ने कुछ लोगों को बुलाकर डरा धमाकने लगे। उसके बाद कंपनी पर कोर्ट कैस किया गया लेकिन कोर्ट के आंदेश आने के बाद भी कंपनी के अधिकारियों ने कोर्ट के आदेश को मानने से इंकार कर दिया और वर्करों को कह दिया कि तुम्हें हर महीने सैलरी मिल जाएगी लेकिन कंपनी में अंदर काम नहीं करने दिया जाएगा।