आवाज ए हिमाचल
-पंडित अमन डोगरा
आज (14 दिसंबर) मोक्षदा एकादशी है। मोक्षदा एकादशी यानि मोक्ष प्रदान करने वाली एकादशी। हिंदू धर्म में एकादशी का बहुत अधिक महत्व माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मोक्षदा एकादशी का व्रत रखने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और पूर्वजों को स्वर्ग तक पहुंचने में मदद मिलती है।इस एकादशी का उपवास करने से व्यक्ति को मृत्यु के बाद मोक्ष प्राप्त होता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अजुर्न को गीता का उपदेश दिया था, इसलिए मोक्षदा एकादशी का महत्व और बढ़ जाता है। इसी दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है। एकादशी के दिन विधि- विधान से भगवान विष्णु की पूजा- अर्चना की जाती है। इस दिन भगवान कृष्ण ने महाभारत में अर्जुन को भगवद गीता का उपदेश दिया था। माना जाता है कि इस दिन उपवास रखने और भगवान कृष्ण की पूजा करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और पूर्वजों को स्वर्ग तक पहुंचने में मदद मिलती है। मोक्षदा एकादशी की तुलना मणि चिंतामणि से की जाती है, मान्यता है कि इस दिन पूजा-अर्चना करने और उपवास रखने से सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं।
एकादशी की कथा: पदमपुराण में वर्णित इस एकादशी की कथा के अनुसार पूर्व काल की बात है,वैष्णवों से विभूषित परम रमणीय चंपक नगर में वैखानस नाम के राजा रहते थे।वे अपनी प्रजा का पुत्र की भांति पालन करते थे। एक रात राजा ने सपने में अपने पितरों को नीच योनियों में पड़ा देखा, जो उनसे उन्हें नरक से मुक्ति दिलाने को कह रहे थे।उन सबको इस अवस्था में देखकर राजा के मन में बड़ा विस्मय हुआ और प्रातः काल ब्राह्मणों को उन्होंने उस स्वप्न के बारे में बताया।ब्राह्मणों के कहने पर राजा पर्वत मुनि के आश्रम में जाकर उनसे मिले। मुनि की आज्ञा से राजा ने अपने पितरों की मुक्ति के उद्देश्य से मोक्षदा एकादशी का विधि-विधान से व्रत किया एवं व्रत का पुण्य अपने समस्त पितरों को प्रदान किया। पुण्य देते ही क्षण भर में आकाश से फूलों की बर्षा होने लगी।वैखानस के पिता पितरों सहित नरक से छुटकारा पा गए और आकाश में आकर राजा के प्रति यह पवित्र वचन बोले-‘ बेटा!तुम्हारा कल्याण हो। यह कहकर वे स्वर्ग में चले गए ।
एकदाशी तिथि प्रारंभ: 13 दिसंबर, रात्रि 9: 32 बजे सेएकदाशी तिथि समाप्त: 14 दिसंबर रात्रि 11:35 बजे पर
मोक्षदा एकादशी व्रत विधि–
ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि के बाद घर और पूजा के स्थान की सफाई करें।
घर के मंदिर में भगवान को गंगाजल से स्नान कराएं और उन्हें वस्त्र अर्पित करें।
भगवान को रोली और अक्षत का तिलक लगाकर भोगसवरूप फल आदि अर्पित करें।
इसके बाद नियमानुसार भगवान की पूजा अर्चन कर उपवास आरंभ करें।
विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने के बाद घी के दीपक से भगवान की आरती उतारें।
पंडित अमन डोगरा, संपर्क:9816332100