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अभिषेक मिश्रा बिलासपुर
02 दिसंबर। श्री रामानुज संस्कृत महाविद्यालय पंजागाई में पांच दिवसीय संस्कृत कार्यशाला का आयोजन भाषा एवं संस्कृति विभाग जिला बिलासपुर के सौजन्य से आयोजित किया गया। कार्यशाला के समापन समारोह की अध्यक्षता स्वामी त्यागेश्वरानंद ने की। त्यागी ने अपने अध्यक्षीय भाषण में आत्मा एवं परमात्मा के बारे में विस्तृत विवेचन किया तथा प्रशिक्षुओं को संस्कृत भाषा के प्रति उत्साहित किया। रामानुज विद्यापीठ के प्रधानाचार्य अलका चंदेल ने बच्चों को संस्कृत भाषा को पढ़ने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है तथा सभी ग्रंथों व पुराणों को रचने के लिए इसी भाषा का प्रयोग किया गया था।
इस अवसर पर भाषा विभाग पर्यवेक्षक इंदर सिंह चंदेल व गोखरू राम शास्त्री ने भी अपने विचार रखे। आचार्य देवराज शर्मा ने संस्कृत भाषा में ही मंच संचालन किया। संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य श्यामलाल शर्मा ने विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत कार्यक्रम पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि संस्कृत से ओत्र-प्रौत प्रस्तुतियों से युवाओं के ज्ञान वर्द्धन के साथ प्रेरणा मिलती है। सरस्वती वंदना एवं वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ कार्यक्रम का आगाज करने के साथ मेहंदी शर्मा ने कालिदास ‘जने जने’ की सुंदर प्रस्तुति दी। छात्रों ने मनसा सततम् स्मरणीयम् को स्वर देकर,
अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में स्वतंत्रता संग्राम में शहीदों की कुर्बानी व आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर कविता का वाचन किया गया। ‘तुझे कसम है मां अब रोना नहीं इस मुल्क को परेशानी है गद्दारों से परेशानी है’ कविता का वाचन कर सभी को वीर रस से भर दिया। महाविद्यालय के छात्र एवं छात्राओं ने दीप प्रज्वलित करने के पश्चात मुख्य अतिथि को शॉल भेंट कर सम्मानित किया। इस कार्यशाला में बच्चों ने 5 दिनों में श्लोकों उच्चारण, श्रीमद भगवत गीता गीतिका का गायन, वैदिक मंत्रों का उच्चारण तथा सरस्वती वंदना को सस्वर सीखा।