आवाज़ ए हिमाचल
मनीष कोहली ( शाहपुर )
29 नवंबर। आज हम आपदा प्रबंधन को लेकर बहुत चिंतित हैं। जिसे लेकर शासन, प्रशासन या आम जन-मानस हो सबके दिलों दिमाग में एक ही बात आती है। भूकम्प बस जरा सा झटका भूकंप का लगे तो शासन, प्रशासन सकते में आ जाता है तथा उसके लिए चिंतन, मंथन शुरू हो जाता है ।समर्पण ऐसोसिएशन अध्यक्ष व समाज सेविका अनीता शर्मा ने कहा कि जबकि आए दिन कोई न कोई आपदा का कहर बेजुबान जानवरों व जन-मानस के साथ होता रहता है और आए दिन कोई न कोई दुर्घटना सड़क पर लावारिस पशुओं के कारण होती रहती है।
जिसकी वजह से पशु और इन्सान तक को अपने परिवारों से बिछड़ना पड़ता है तथा कई बच्चों को अनाथ होना पड़ रहा है, अनीता शर्मा ने कहा कि इस तरीको की आपदाएं आए दिन होती रहती हैं। जिसे इतनी गहराई से नहीं लिया जाता है और आपदाएं निरंतर बढ़ती जा रही हैं, क्योंकि लावारिस पशु बारिश मेंं हर जगह कीचड़ होने के कारण और बिना आशियाने के सूखी व पककी सड़क पर बैठने के लिए मजबूर हैं।
जिसके चलते रात को तेज गति से आते वाहनों के चालकों को,
जिसके चलते रात को तेज गति से आते वाहनों के चालकों को,
उनका दिखाई न देना दोनों की जान को खतरा व आपदा को बुलावा देता है। जिसके दुखद परिणाम सामने आते हैं। उन्होंने कहा कि प्रशासन को इस आपदा से बचने के लिए इसे आपदा प्रबंधन के साथ जोड़कर आपदा कम करने के लिए लावारिस पशुओं के गले में रेडियम रिफलेकटर वैल्ट डलबाई जनि चाहिए ताकि रात को सड़क पर बैठे पशु का पता चल सके और आए दिन होती दुर्घटनाओं से बचा जा सके। उन्होंने कहा कि इसका सारा प्रबंधन सरकार आपदा प्रबंधन मेंं करे ।