आवाज़ ए हिमाचल
8 नवंबर। राष्ट्रीय शिक्षा नीति आने के बाद तेज हुई शैक्षणिक सुधारों की मुहिम में शिक्षकों को अब सिर्फ वरिष्ठता के आधार पर ही पदोन्नति नहीं मिलेगी, बल्कि इसके लिए उनके पढ़ाने और पढ़ने जैसे पहलुओं को भी जांचा जाएगा। अब बगैर पढ़ाए या पढ़े किसी भी शिक्षक के लिए पदोन्नति संभव नहीं हो पाएगी। नई शिक्षा नीति के तहत ये बदलाव वर्ष 2030 तक होने जा रहे हैं। खास बात यह है कि इसका आकलन स्कूल स्तर पर उनके सहकर्मियों की ओर से किया जाएगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शिक्षकों की शिक्षा
और उनके कैरियर आदि को लेकर बड़े सुधारों की पेशकश की गई, जिसके तहत शिक्षकों की पदोन्नति के तहत सहकर्मियों की समीक्षा, उपस्थिति, पढ़ाने को लेकर उनके समर्पण के साथ ही स्कूल और समाज में की गई अन्य सेवा आदि शामिल है। इसके अलावा शिक्षकों को अपने खुद के प्रोफेशनल विकास के लिए अब हर साल कुछ घंटे देने होंगे। इन कोर्सेज को दीक्षा पोर्टल से शिक्षक हर माह ऑनलाइन कर रहे हैं, जिससे प्रशिक्षण की लागत भी कम हो गई है। इसके अलावा अब प्रवक्ता स्कूल न्यू नियुक्ति हेतु भी टीईटी लागू होगा।
इसके लिए राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद ने फरवरी, 2021 में समस्त राज्यों को लिखित निर्देश जारी किए हैं। सरकारी स्कूलों में प्री प्राइमरी कक्षाएं शुरू होने के साथ ही बेसिक स्तर के शिक्षक और आंगनबाड़ी कर्मियों को भी छह महीने और एक साल का विशेष प्रशिक्षण लेना होगा। 12वीं और इससे उच्च स्तर पर शिक्षितों को केवल छह महीने का सर्टिफिकेट कोर्स करना होगा जबकि इससे कम शिक्षा वाली आंगनबाड़ी कर्मियों को एक साल का डिप्लोमा कोर्स कराया जाएगा।