27 सितम्बर । राज्य सरकार ने प्रदेश के मक्की उत्पादक किसानों को उनके हाल पर छोड़ दिया है। केंद्र सरकार ने भले ही मक्की का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1850 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित कर रखा है, लेकिन प्रदेश में मक्की खरीद केंद्र न खुलने से किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ नहीं मिल रहा। मक्की पर आधारित उद्योग न लगने से किसानों के लिए संकट छा गया है।
केंद्र सरकार मक्की खरीद के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य हर साल निर्धारित करती है, लेकिन इसे प्रदेश के किसानों का दुर्भाग्य की कहा जाएगा कि प्रदेश में आज तक एक भी मक्की खरीद केंद्र नहीं खोला जा सका। मक्की उत्पादकों को मक्की की पैदावार अच्छी होने पर भी बाजार में अच्छे दाम नहीं मिल पाते।
किसान मक्की को चाहते हुए भी एमएसपी में नहीं बेच पाते। प्रदेश में मक्की पर आधारित ऐसा कोई बड़ा उद्योग स्थापित नहीं है, जो मक्की को कच्चेे माल के रूप में इस्तेमाल कर सके। ऐेसे उद्योग लगाए होते तो किसानों को आधे दामों में अपनी फसल न बेचनी पड़ती।